बिहार में कोरोना संक्रमितों से निजी एम्बुलेंस कर्मी मनमाना किराया वसूल रहे हैं। एक शहर में चाहे संक्रमित मरीज को अस्पताल तक ले जाना हो या मृत कोरोना संक्रमित के शव को श्मशान घाट तक ले जाना हो, निजी एम्बुलेंस वाले 5 से 7 हजार रुपये प्रति मरीज वसूल रहे हैं। जबकि मुजफ्फरपुर से पटना या किसी दूसरे ज़िलें से डेडिकेटेड कोविड अस्पताल तक ले जाने के लिए 10 से 15 हजार रुपये तक की मांग की जा रही है। हद तो यह है कि इसे देखने वाला कोई नही है। इससे संक्रमितों के परिजन परेशान हो रहे हैं।
1200 सरकारी एम्बुलेंस नि:शुल्क, फिर भी समय पर नहीं हो रही उपलब्ध राज्य में 1200 सरकारी एम्बुलेंस डायल 102 पर नि:शुल्क उपलब्ध हैं, किंतु समय पर कोरोना संक्रमित मरीजों को उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। त्रों की मानें तो इनमें 744 एम्बुलेंस सरकार स्तर पर 2011-12 में ही खरीदी गईं। उनकी हालत खस्ता है। जबकि शेष एम्बुलेंस निजी कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराई गई हैं। अभी राज्य में पशुपतिनाथ डिस्ट्रीब्यूटर प्राइवेट लिमिटेड और सम्मान फाउंडेशन द्वारा मिलकर सरकारी एम्बुलेंस का संचालन किया जा रहा है, जिसके लिए उन्हें ऑपरेशनल चार्ज का भुगतान किया जाता है। ड्राइवर व अन्य सेवाएं इन्ही कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराई जाती है। इनमें 100 एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस हैं जबकि 1100 बेसिक लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस हैं। राज्य में 800 नए एम्बुलेंस की खरीद की घोषणा दो माह पूर्व की गई थी जो कि अभी भी फाइलों में ही घूम रही है।
कम फ्लो वाले छोटे सिलेंडर रखते हैं पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (पीएमसीएच) के कोरोना वार्ड के इंचार्ज डॉ अजय अरुण के अनुसार, एम्बुलेंस में ऑक्सीजन की नाममात्र की उपलब्धता से कोरोना संक्रमितों का जीवन खतरे में पड़ जा रहा है। जिन संक्रमित मरीजों का ऑक्सीजन लेवल सेचुरेशन 45 से 55 फीसदी होता है, उन्हें कम फ्लो वाले छोटे सिलेंडर के सहारे अस्पताल तक ले जाने में ही मरीज दम तोड़ देते हैं।
‘राज्य में निजी एम्बुलेंस के भाड़ा को तय करने को लेकर कोई नियमावली नही है। सभी सरकारी एम्बुलेंस नि:शुल्क उपलब्ध कराए जाते हैं।’ - केके उपाध्याय, नोडल, एम्बुलेंस सेवा, राज्य स्वास्थ्य समिति।