जागरण संवाददाता, गया: अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल अस्पताल में शनिवार की रात 12 बजे से रविवार दिन के 12 बजे तक 11 मरीजों ने दम तोड़ दिया। मृतकों में 6 महिला व 5 पुरुष शामिल हैं। मृतकों में अलग-अलग जिलों के मरीज हैं। आइसोलेशन वार्ड में भर्ती 7 गया के मरीजों की मौत हुई है। वहीं औरंगाबाद के 2, जहानाबाद के 1 व अरवल के 1 मरीज जो कि मगध मेडिकल में भर्ती हुए थे, उनकी मौत हो गई। मृतकों में ज्यादातर कोविड-19 संक्रमित थे। इधर, मेडिकल अस्पताल में कोविड-19 को लेकर बनाए गए नोडल अधिकारी डॉ. एनके पासवान ने कहा कि 8 मरीज की मौत हुई है। उन्होंने कहा कि मृतकों में ज्यादातर मरीज गंभीर हालात में अस्पताल में भर्ती होने आए थे। अस्पताल की ओर से सभी मरीजों का बेहतर देखभाल किया जा रहा है। वहीं, अस्पताल प्रबंधक के अनुसार 9 मरीज की मौत हुई है। गौरतलब है कि इस अप्रैल माह में मेडिकल अस्पताल में अब तक 22 मरीज की मौत हो चुकी है। मेडिकल अस्पताल में बढ़ते मौत के आंकड़ों ने आम लोगों की चिंता बढ़ा दी है।
बीएसटी गुम होने से घंटों तक मर्चूरी में पड़ा रहा शव
मेडिकल अस्पताल की व्यवस्था लचर है। शनिवार को एक भर्ती मरीज की मौत हो गई। बुजुर्ग का शव रात से रविवार दोपहर दिन तक मर्चूरी में पड़ा रहा। इस बीच भर्ती मरीज के बीएसटी का कहीं पता नहीं चल रहा था। बाद में भर्ती मरीज के स्वजन जब अस्पताल में हाल जानने पहुंचे तो पता चला कि उनके स्वजन का देहांत हो चुका था। जांच पड़ताल में पता चला कि बीएसटी पूर्जा मृतक के स्वजन के पास ही था।
कोरोना संक्रमितों के इलाज में बरती जा रही कोताही: विनय कुशवाहा
अखिल भारतीय महात्मा विचार मंच के राष्ट्रीय संयोजक सह पूर्व रालोसपा नेता विनय कुशवाहा ने कहा कि कोरोना संक्रमित मरीज भगवान भरोसे हैं। मेडिकल अस्पताल, गया में बीते 12 घंटे में 11 मरीजों ने दम तोड़ दिया। केंद्र और राज्य की सरकार ने कोरोना से लडऩे के लिए एक भी अस्पताल का निर्माण नहीं कराया। जबकि प्रत्येक जिला में एक 500 या 1000 बेड का अस्पताल होना चाहिए था। मगध मेडिकल अस्पताल गया की स्थिति चिंताजनक है। आरोप लगाया कि अस्पताल प्रबंधन मरीजों के प्रति गंभीर नहीं है। मरीजों के परिजनों को अस्पताल प्रबंधन मिलने भी नहीं देता है। जिला प्रशासन के साथ ही राज्य सरकार से मांग किया कि मेडिकल अस्पताल में चिकित्सा व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए।