आधुनिकता के दौर में गांवों का समाप्त हो रहा वास्तविक स्वरूप

संवाद सहयोगी, त्रिवेणीगंज (सुपौल ): पाश्चात्य जीवन शैली का अनुसरण कर आधुनिक बनने के चक्कर में गांव की सोंधी मिट्टी की खुशबू समाप्त हो रही है । गांव अपने वास्तविक स्वरूप को खोता जा रहा है ।अब गांवों में भी छाछ ,दूध, घी नहीं मिल रहा है और न ही पर्याप्त मात्रा में ग्रामीण स्तर पर बनाए जाने वाले गुड़ ही मिल रहे हैं । इन शुद्ध प्राकृतिक चीजों के बदले देशी घी की जगह वनस्पति ,सरसों तेल की जगह रिफाइन आयल और गुड़ की जगह चीनी अब गांव देहातों में पहुंचने लगी है । ग्रामीण क्षेत्रों में खान -पान के तौर तरीके में भी बदलाव आया है । गांव में भी अब घर की रोटी की जगह ब्रेड ज्यादा पसंद किया जा रहा है । ब्रेड का बड़ा पैकेट महंगा होने के बावजूद घर में आता है । जबकि उससे सस्ता आटा है ।


ग्रामीणों की पुरानी परंपराएं लुप्त हो रही है । फलस्वरूप लोगों में आपसी कटुता भी बढ़ रही है । फिर भी आधुनिकता की दौर में सभी शामिल हैं। एक जमाना था जब पत्तलों पर व दोना में नाश्ता परोसा जाता था । आज स्थिति दूसरी है । गिलास से लेकर प्लास्टिक के पत्तल और प्लेट तक बन गये हैं जिसके उपयोग में लोग अपनी शान समझते हैं। प्लास्टिक के बढ़ते प्रचलन से पत्तल व दोना बनानेवालों के समक्ष इस कदर मुसीबत खड़ी हो गई है कि इस धंधे से लोग भुखमरी के कगार पर पहुंच गये हैं। प्लास्टिक के पत्तल ,प्लेट व कटोरे में भोजन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है । इसे खाने से जानवरों का भी बुरा हाल है । प्लास्टिक के बने थैले ,प्लेट ,कटोरे ने इस कदर ग्रामीण क्षेत्रों में भी अपनी पैठ जमा ली है कि अब इस पर रोक लगाना मुश्किल सा लग रहा है । गांव में भी जहां आयोजन व उत्सवों में शरबत से सत्कार किया जाता था जो लोगों के हृदय में तरावट लाकर थकान को दूर कर देता था । अब वहां भी । कोल्डड्रिक्स का प्रचलन चल पड़ा है । सभी इस भौतिकवादी युग में अपने को पिछड़ा हुआ नहीं मानना या दिखाना चाहते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में शादी विवाह के अवसर या किसी भी उत्सव में खाने की समाप्ति से पूर्व दही आवश्यक रूप से परोसा जाता था पर अब शहर जैसा ही इसके स्थान पर रायता या दहीबड़ा परोसा जाता है । अर्थात अब गांव के लोग भी पाश्चात्य जीवन शैली को अपनाने में प्रतिष्ठा के साथ ही गर्व महसूस करने लगे हैं । जिससे गांव में भी अब गांव की मिट्टी की खुशबू समाप्त हो रही है। आम छाछ,मठ्ठा ,दूध ,घी का उपयोग विरले व मुश्किल किसी के घर दिख जाता है ।

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