कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामले को देखते हुए भारत में 15 अप्रैल तक लॉकडाउन घोषित किया गया है। वहीं दूसरी ओर इसके वैक्सीन और दवाओं को लेकर रिसर्च जारी है, जिनके काफी हद तक सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। देश में कोरोना संक्रमण अभी स्टेज-2 में है और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार स्टेज-3 से रोकने के लिए सरकार तमाम उपाय कर रही है। लॉकडाउन इसी दिशा में उठाया गया ठोस कदम है। भारत में जो स्थिति है, उसको लेकर अमेरिका की एक बड़ी यूनिवर्सिटी ने अहम रिपोर्ट दी है। इस रिपोर्ट में भारत के लिए आने वाला समय चुनौती भरा बताया गया है। साथ ही इस चुनौतीपूर्ण समय से निबटने के उपाय भी बताए गए हैं।
अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी और सेंटर फॉर डिजीज डायनेमिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी (CDDEP) की ओर से जारी इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे भारत के लिए आने वाला समय चुनौतियों से भरा हो सकता है। कोरोना वायरस भारत को अगले चार महीने बहुत ज्यादा परेशानी दे सकता है। इस रिपोर्ट में कोरोना से निबटने को उपाय भी सुझाए गए हैं। भारत की अधिकारिक वेबसाइटों से लिए गए आंकड़ों के आधार पर ये रिपोर्ट तैयार की गई है।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में कोरोना वायरस की भयावह स्थिति जुलाई अंत से लेकर अगस्त के मध्य तक खत्म हो सकती है। रिपोर्ट में पांच राज्यों के ग्राफ के माध्यम से यह दिखाया गया है कि अप्रैल मध्य से लेकर मई मध्य तक बड़ी संख्या में लोग कोरोना से संक्रमित होकर अस्पतालों में भर्ती हो सकते हैं। यह संख्या जुलाई मध्य के बाद कम होने लगेगी और अगस्त तक स्थिति नियंत्रण में होगी। रिपोर्ट के मुताबिक करीब 25 लाख लोग इस वायरस की चपेट में आकर अस्पताल पहुंच सकते हैं।
स्टडी के मुताबिक फिलहाल यह पता चलना मुश्किल है कि भारत में अभी कितने लोग संक्रमित हैं। कारण यह कि कई लोग एसिम्टोमैटिक हैं, यानी उनमें कोरोना के लक्षण अबतक पता नहीं चल पाए हैं। बताया गया है कि भारत में चल रही जांच भी धीमी है। ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच होने पर भी सही आंकड़ा पता चल पाएगा। ज्यादा से ज्यादा जांच ही कोरोना संक्रमित बुजुर्गों को बचा सकेगा।
स्टडी में बताया गया है कि लोगों खासकर बुजुर्गों को सोशल डिस्टेंसिंग का ज्यादा ध्यान रखना होगा। इसके अलावा फिलहाल कोई कारगर उपाय नहीं है। जितना ज्यादा यानी लंबा लॉकडाउन होगा उतने ही ज्यादा लोग संक्रमण से बचे रहेंगे। तापमान और उमस बढ़ने पर कोरोना के संक्रमण पर थोड़ा असर होगा, लेकिन यह भी पर्याप्त नहीं होगा, क्योंकि वायरस पर तापमान का बहुत असर होता नहीं दिख रहा।
देश की स्वास्थ्य सुविधाओं में भी बहुत कमी बताई गई है। कहा गया है कि भारत में लगभग 10 लाख वेंटीलेटरों की जरूरत पड़ सकती है, जबकि वर्तमान में इसकी उपलब्धता 30 से 50 हजार ही हैं। अमेरिका में 1.60 लाख वेंटीलेटर्स भी कम पड़ रहे हैं, जबकि वहां की आबादी भारत से कम है। कई राज्यों में अस्पतालों की कमी है। अस्पताल हैं तो वहां आईसीयू, ऑक्सीजन मास्क व सिलेंडर की कमी है। यह स्थिति परेशानी बढ़ाने वाली है।
स्टडी में यह भी बताया गया है कि स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए यहां पर्याप्त मास्क, हैजमट सूट, फेस गियर और अन्य उपकरणों की भारी कमी है। इससे स्वास्थ्यकर्मी भी संक्रमण के खतरे में हैं। स्टडी के मुताबिक कुछ राज्यों में अभी कोरोना संक्रमण के मामले कम दिख रहे हैं, जो कि लॉकडाउन हटने के बाद के हफ्तों में बढ़ सकते हैं।
स्टडी में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की भी कोरोना जांच की जरूरत बताई गई है, ताकि कोरोना संक्रमण को लेकर उनकी सही स्थिति का पता चल सके। रिपोर्ट में बताया गया है कि देश के सभी अस्पतालों को अगले तीन महीने बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। अन्य देशों की तरह यहां भी अस्थाई अस्पताल बनाने पड़ सकते हैं।