लॉकडाउन व वाहनों पर रोक के चलते शहर तक आने के साधन घट गये हैं. ऐसे में अस्पतालों में प्रसव का ग्राफ भी गिर रहा है. प्राइवेट अस्पताल में लगभग सभी बंद हैं.
ऐसी हालात में संस्थागत प्रसव की संख्या में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है. बड़ी संख्या में घरों में प्रसव हो रहे हैं. आंकड़ों के मुताबिक पहली अप्रैल 2019 से 31 मार्च तक प्रतिमाह करीब 112 शिशुओं का जन्म होता था. जो गुजरे 20 दिनों में घटकर औसतन 63 के करीब पहुंच गया है. इससे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अधिकारी दंग हैं.
लॉकडाउन के दौरान महिला अस्पताल झलकारीबाई में इस समय कुल 40 मरीज भर्ती हैं, शुक्रवार को अस्पताल में आठ प्रसव हुए जिनमें चार सीजर थे. मुख्य चिकित्सा अधीक्षिका डॉ सुधा वर्मा ने बताया कि इमरजेंसी में प्रसव से जुड़ी सारी सुविधाएं उपस्थित हैं और मरीजों के लिये एम्बुलेंस सेवा भी सक्रिय है, गर्भवती इमरजेंसी का इंतजार न करें बल्कि तय समय पर अस्पताल पहुंचे. लॉकडाउन से पहले हर दिन झलकारीबाई अस्पताल में 10-15 प्रसव होते थे अब वो संख्या घटकर 6 हो गयी है.
स्त्री रोग एवं प्रसूता विभाग क्वीनमेरी की चिकित्सा अधीक्षिका डॉ एसपी जैसवार ने बताया कि ओपीडी भले ही बंद हैं पर प्रसव के लिये अब भी मरीज आ रहे हैं. क्वीनमेरी में हर दिन 25 से 30 प्रसव किये जा रहे हैं, हालांकि यहां भी प्रसव का ग्राफ कुछ हद तक गिरा है, एक माह में शिशुओं की कुल संख्या का औसत 700-800 के बीच होने कि सम्भावना है क्योंकि हर दिन इमरजेंसी में 25 से 30 भर्तियां हो रही हैं जिनमें वो महिलाएं भी शामिल हैं जिनका प्रसव होना है.
भीड़ ना हो इसलिए जल्दी कर रहे डिस्चार्ज
जिला अस्पतालों के मेटरनिटी वार्ड प्रसूताओं से भरा रहता था, सामान्य प्रसव पर 4 दिन व सिजेरियन पर 8 से 10 दिन बाद डिस्चार्ज किया जा रहा था पर कोरोना वायरस को देखते हुए मेटरनिटी वार्ड में भर्ती जच्चा-बच्चा स्वस्थ्य होने की स्थिति में जल्दी डिस्चार्ज कर रहे हैं ताकि मरीज के साथ अस्पताल में होने वाली भीड़ कम से कम हो.
प्रसव संस्थागत ही कराना चाहिए
डाक्टर एसपी जैसवार का बोलना है कि लॉकडाउन के कारण कुछ लोग अस्पताल तक पहुंच नहीं पा रहे या फिर वे माहौल से भय कर घर पर ही प्रसव करा रहे हैं. ऐसा करना जच्चा और बच्चा के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होने कि सम्भावना है. यह एक इमरजेंसी है व सभी अस्पताल में इसकी सुविधा है. जहां तक हो सके प्रसव संस्थागत ही कराना चाहिए, हम मरीज के साथ केवल एक तीमारदार को रुकने की अनुमति देते हैं, पहले नियम को लेकर मरीजों में सख्ती नहीं थी पर अब कोरोना के चलते नियम का पालन किया जा रहा है.