खुरहा से दर्जनभर गांवों में मवेशी हुए बीमार

औरंगाबाद। अभी तक कोरोना वायरस का दुसचक्र थमा भी नहीं है कि पशुओं में संक्रमण की बीमारी फैलने लगी है। खुरहा रोग के प्रकोप से प्रखंड के दसौतीं, ढुंडा बिगहा, हरदाता व बाबू चिल्हकी सहित गांव में दर्जनों पशु आक्रांत हो गए हैं। ऐसे में पशुपालकों की परेशानी काफी बढ़ती नजर आ रही है। इस बीमारी के संक्रमण से अन्य पशुओं की अपेक्षा दुधारू पशु, दूध अधिक प्रभावित हुए हैं। बच्चे वाली दुधारू पशुओं के दूध पीने से बच्चे मर जा रहे है। खुरहा के विषाणु बीमार पशुओं के लार में भी अधिक पाए जाते हैं।

खुरपका रोग में पशुओं के तेज बुखार के साथ खुरो एवं मुंह के बीच में फोड़ा हो जाता है। ऐसी स्थिति में पशु चारा छोड़ देते हैं। समय से उपचार नहीं कराने पर फोड़े फटने पर जख्म बन जाता है। यहां तक कि उस जख्म में कीड़े पड़े जाते हैं, जिससे पशुधन का काफी नुकसान होता है। यह बीमारी खासकर पूर्वी हवा व प्रतिकूल मौसम में तेजी से फैलती है। वहीं पछुआ हवा के प्रभाव से पशु जल्दी स्वस्थ होते हैं। कोट----
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रोगग्रस्त पशुओं को अलग बांधकर ठीक से उसका रख-रखाव करना चाहिए। इसके साथ ही फिनायलयुक्त या गर्म पानी में फिटकिरी डालकर उसे धोना चाहिए। जख्म होने पर कीड़े के प्रभाव को रोकने के लिए मलहम का प्रयोग करना चाहिए। इस दौरान गोशाला की सफाई कर फिनाइल का छिड़काव करते रहना चाहिए। दूध निकालने के बाद हाथ साबुन से धोना चाहिए।
- डॉ. आलोक भारती, पशु वैज्ञानिक केवीके ---
खुरहा का वैक्सिनेशन 25 मार्च से कराया जाना था। कोरोना को लेकर जारी लॉकडाउन के चलते उसे स्थगित कर दिया गया है। प्रभावित गांवों का दौरा कर आक्रांत पशु का उपचार कराया जाएगा।
-डॉ. ब्रजेश कुमार सिन्हा, जिला पशुपालन पदाधिकारी
Posted By: Jagran
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