योजनाओं के लाभ से वंचित हुए 283 विद्यालयों के नौनिहाल

-इन विद्यालयों के एक भी बच्चों को नहीं मिला पोशाक, साइकिल व छात्रवृत्ति की राशि -विभागीय उदासीनता का भुगत रहे खामियाजा

-शिक्षा विभाग के अपर सचिव ने डीईओ से पूछा स्पष्टीकरण
जागरण संवाददाता, सुपौल: जिले के 283 सरकारी विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों की उदासीनता के कारण वित्तीय वर्ष 2019-20 में लाभकारी योजनाओं की राशि से वंचित होना पड़ा है। इन स्कूलों के एक भी बच्चे को पोशाक, साइकिल, नैपकिन, छात्रवृत्ति का लाभ नहीं दिया गया, क्योंकि जिला स्तर के शिक्षा विभाग के पदाधिकारी के द्वारा बच्चों की 75 प्रतिशत हाजिरी को लेकर हां अथवा ना की जानकारी नहीं हो पाई। शिक्षा विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई प्रारंभ कर दी है। शिक्षा विभाग के अपर सचिव सह नोडल पदाधिकारी डीबीटी कोषांग पटना गिरिवर दयाल सिंह ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को जिले के 283 सरकारी विद्यालयों द्वारा अपने छात्र-छात्राओं को उपस्थिति के आधार पर चिन्हित नहीं किए जाने के कारण बच्चों को लाभुक आधारित योजनाओं से वंचित होने की सारी जवाबदेही निर्धारित किया है। अपर सचिव ने जिला शिक्षा पदाधिकारी से स्पष्टीकरण समर्पित करने का आदेश दिया है कि किन परिस्थिति में जिले के प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों को उपस्थिति के आधार पर चिन्हित नहीं किया गया तथा इसके लिए दोषी व्यक्ति पर आपके द्वारा क्या कार्रवाई की गई। अपर सचिव ने स्पष्ट चेतावनी दी है स्पष्टीकरण संतोषप्रद नहीं पाए जाने की स्थिति में आपके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई हेतु सरकार को प्रतिवेदित कर दिया जाएगा। शिक्षा विभाग ने पहली बार वित्तीय वर्ष 2019-20 में पहली कक्षा से 12वीं कक्षा तक अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को मिलने वाली सभी योजनाओं का लाभ डीबीटी के माध्यम से खाता में हस्तांतरण करने का निर्णय लिया। इसके लिए राज्य स्तर पर एनआईसी द्वारा मेधा सॉफ्ट नामक नया सॉफ्टवेयर विकसित किया गया। विद्यालय को इस सॉफ्टवेयर में अपने बच्चों की जानकारी देनी थी। जिसमें 75 प्रतिशत हाजिरी के लिए सभी बच्चों के बारे में हां या ना को चिन्हित करना था। लेकिन जिले के प्रधानाध्यापक एवं विभागीय पदाधिकारी को बार-बार आदेश देने के बावजूद जिले के 283 विद्यालयों के द्वारा चिन्हित नहीं किया गया। विभाग ने अंतत: जिले के शेष 1483 विद्यालयों के छात्र-छात्राओं के खाते में सभी योजनाओं का की राशि हस्तांतरित कर दी। जबकि जिले के 283 विद्यालयों में अध्ययनरत किसी भी बच्चे को राशि नहीं भेजी गई।

Posted By: Jagran
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