चूड़ियां टूट गई तो बच्चों के लिए बनी द्रोणाचार्य

जहानाबाद : देश में जहानाबाद का नाम जब रक्तपात के जाना जाता था। उसी दौर में लालती देवी की कलाई की चूड़ियां एक दुर्घटना में टूट गई तो बच्चों के लिए द्रोणाचार्य बन गई। पांच सौ रुपये में चपरासी की नौकरी से पांच बच्चों की परवरिश और पढ़ाकर मातृशक्ति की बड़ी लकीर खींच दी। आज इनके बच्चे रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और रेल मंत्रालय में जगह बनाई है।

जहानाबाद जिला निर्वाचन कार्यालय में अक्सर बांह में फाइल दबाए लालती देवी दिख जाएगी। करीब 29 साल पहले एक दुर्घटना में पति की मौत हो गई थी। तब पांच बच्चों के परवरिश के साथ शिक्षा के लिए द्रोणाचार्य बनकर उन्हें प्रतिस्पद्र्धा में धुरंधर बनाया। शहर के नोनिया घाट बड़ी संगत निवासी लालती के पति योगेंद्र प्रसाद जनगणना विभाग के छंटनीग्रस्त कर्मचारी थे। पति का साया उठने के बाद आय का कोई स्रोत नहीं था। बच्चों के लिए मां-बाप और बूढ़ी सास को पुत्र गंवाने के गम से उबारना था। घर में तीन बेटी और दो बेटा था। घर चलाने के लिए जहानाबाद इंपोरियम में अस्थाई रूप से काम का जुगाड़ हो गया। तब 500 रुपये मासिक मिलता था। पांच सौ रुपये में सात लोगों के लिए भोजन और बच्चों की पढ़ाई करनी थी।
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बाद में पति की जगह अनुकंपा पर चपरासी श्रेणी में नौकरी मिल गई। दफ्तर में बाबू लोग की जी हुजूरी कर बच्चों की पढ़ाई पूरी की। बड़ी बेटी निहारिका भारतीय विदेश मंत्रालय में पीएस है। दूसरी बेटी संध्या स्नेही- दिल्ली केंद्रीय विद्यालय में नौकरी हासिल कर ली है। तीसरी बेटी प्रियंका स्नेही रक्षा मंत्रालय नई दिल्ली में कार्यरत है। बड़ा बेटा प्रकाश स्नेही गुप्ता रेल मंत्रालय के निर्माण प्रभाग में है और छोटा बेटा किशन स्नेही विदेश मंत्रालय में कार्यरत है। छोटा बेटा यूपीएससी की तैयारी भी कर रहा है। लालती देवी अनुकंपा पर मिली नौकरी कर रही है। इन दिनों जहानाबाद निर्वाचन कार्यालय में चतुर्थ वर्गीय कर्मी के रुप में पदस्थापित है।
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Posted By: Jagran
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