सरकार ने म्यूजियम बनाने को 9 करोड़ दिए पर जमीन का मामला हाईकोर्ट में अटका

राजीव सिंह, एकंगरसराय: नालंदा से भी प्राचीन तिलाधर विवि की स्मृति अपने गर्भ में समेटे तेल्हाड़ा का गौरवशाली इतिहास देश-दुनिया के सामने आने को आतुर है, परन्तु नियमों की पेच में खोदाई कार्य पांच साल से रूका पड़ा है। केंद्र सरकार के आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की अनुमति का इंत•ार है। वैसे 2009 से 2015 तक खोदाई के दौरान जो अवशेष मिले हैं, वे नालंदा के नए इतिहास की पृष्ठभूमि की तरह हैं। आवश्यकता, इन अवशेषों को सहेजने, संरक्षित रखने और शोध की है। परंतु इसमें भी कानून का पेच फंसा है। तेल्हाड़ा में म्यूजियम बनाने के लिए राज्य सरकार 9 करोड़ रुपए का आवंटन कर चुकी है लेकिन संग्रहालय के लिए चुनी गई जमीन का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया। कोर्ट का फैसला नहीं आया है, इस कारण म्यूजियम नहीं बन पा रहा है। 1985 तक स्थानीय लोगों ने एक झोपड़ी बनाकर यहां खोदाई में मिली वस्तुओं को सहेज रखा था। 15 साल पहले तत्कालीन एमएलसी रामचन्द्र प्रसाद का ध्यान गया तो उन्होंने अपने फंड से सामुदायिक भवन बनवा दिया, जिसे अस्थाई तौर पर संग्रहालय का रूप दे दिया गया है।


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अलौकिक है अवलोकितेश्वर की प्रतिमा, पीएम भी हो चुके मुरीद
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याद दिला दें कि 26 दिसम्बर 2009 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वयं कुदाल चलाकर तेल्हाड़ा में खोदाई का प्रारम्भ कराया था। लगभग 6 साल तक रुक-रुक कर हुई खोदाई में भगवान बुद्ध की हाथी के दांत से बनी मूर्ति, रेड सैंड स्टोन की कई मूर्ति, चामुंडा, मां तारा, हरतिका, अपराजिता समेत सैकड़ों छोटी- बड़ी मूर्तियां मिलीं। जिन्हें सामुदायिक भवन में 20 ट्रंक में भरकर रखा गया है, जबकि कुछ बड़ी मूर्तियां फर्श पर भी हैं। सुरक्षा के ²ष्टिकोण से भगवान अवलोकितेश्वर की 5 फिट ऊंची मूर्ति को पटना के बिहार म्यूजियम में रखा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब बिहार म्यूजियम गए थे तो इस मूर्ति को देखकर काफी प्रभावित हुए थे और उसके बारे में जानकारी ली थी।
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सुरक्षा के लिए पुलिस बल है तैनात
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कला एवं संस्कृति विभाग के आग्रह पर तेल्हाड़ा के खोदाई स्थल एवं म्यूजियम की सुरक्षा के लिए जिला पुलिस बल के आधा दर्जन आरक्षी प्रतिनियुक्त हैं। साथ ही साथ स्थानीय मुखिया प्रतिनिधि एवं पूर्व मुखिया डॉ अवधेश गुप्ता भी यहां की सुरक्षा के प्रति तत्पर रहते हैं। वे पिछले 4 वर्षों से बंद खोदाई को प्रारम्भ कराने के लिए प्रयासरत भी हैं।
Posted By: Jagran
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