अपना घर है स्वर्ग से सुंदर

-परदेश में बिताए दिन को याद कर सिहर उठते प्रवासी

जागरण संवाददाता, सुपौल: श्रमिक स्पेशल ट्रेन तथा भाड़े के ट्रक से अपने गांव पहुंचे मजदूरों की मानें तो उन्हें नई जिदगी मिल गई है। क्वारंटाइन सेंटर में होने वाली थोड़ी बहुत परेशानी का उन्हें अब कोई मलाल नहीं है। उन्हें बस इस बात की खुशी है कि वे अपने माटी पर आ गए है। लॉकडाउन के दौरान परदेस में बिताए गए दिनों को याद कर वे अब भी सिहर उठते हैं। यह सब मानते हैं कि वह सचमुच जिदगी की बदकिस्मती का दौर था जिन्हें वे सब उम्र भर नहीं भुला पाएंगे। पिपरा प्रखंड के पंचायत सरकार भवन तुलापट्टी क्वारंटाइन सेंटर में रह रहे इसी पंचायत के मजदूरों ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि वे लोग राजस्थान के सूरत में कपड़ा सिलाई का काम करने गए थे। यह लोग कुछ दिनों के बाद घर वापस आने ही वाले थे कि इसी बीच जनता क‌र्फ्यू के बाद लॉकडाउन हो गया। लॉकडाउन के कारण उन लोगों को कुछ दिनों तक फैक्ट्री कैंपस में ही रखा गया। करीब 15 दिन बाद जब फैक्ट्री मालिक ने उन सभी को वहां से निकाल दिया तो उसके बाद यह लोग एक खेत में तंबू बनाकर रहने लगे। इधर कमाई का पैसा खाने-पीने में खत्म हो जाने के बाद भोजन के लाले पड़ने लगे। आबादी से दूर खेत में रहने की वजह से कोई मदद भी नहीं मिल रहा था। हालांकि बाद में वहां के स्थानीय सरपंच के द्वारा उन लोगों को राशन मुहैया कराया गया। बाद में ट्रेन की सूचना पर सरपंच ने ही उन लोगों को घर आने की व्यवस्था की। इसी क्वारंटाइन सेंटर में रह रहे सिकंदर कुमार, दिनेश कुमार, छोटेलाल, मु. साबिर, मु. मुमताज जो हरियाणा गेहूं काटने को गए थे। बताया कि लॉकडाउन लागू होने के बाद मालिक ने उन लोगों से साफ मुंह मोड़ लिया। इसी तरह खेतों में बने मचान पर ही कुछ दिनों तक यह सब समय काटा। कई दिनों तक तो सिर्फ एक शाम का ही भोजन कर किसी तरह समय काटा। किराये की कोई व्यवस्था नहीं देख करीब 75 मजदूरों ने मिलकर एक ट्रक भाड़ा किया। इसी तरह घर वापस आया। बताया कि जिला पहुंचने पर पहले उन लोगों का स्वास्थ्य जांच किया गया। फिर पंचायत में बनाए गए को क्वारंटाइन सेंटर में उन लोगों को रखा गया। सेंटर में उन लोगों का पूरा-पूरा ख्याल रखा जा रहा है। उन सब को किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है। बताया कि निर्धारित समय के बाद ही वे लोग क्वारंटाइन सेंटर से अपने घर वापस जाएंगे। हालांकि घर वापसी के बाद रोजगार को लेकर उनकी चिता उनके चेहरों पर स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रहा था। बताया कि फिलहाल उन लोगों को चिता अब आगे का समय काटने का है। जब वे लोग को क्वारंटाइन से वापस घर जाएंगे तो फिर रोजगार एक समस्या बनेगी। हालांकि सकून इस बात को लेकर था कि अब अपने माटी वापस आ गए हैं। कुछ ना कुछ तो कर ही लेंगे।
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Posted By: Jagran
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