सहकारिता विभाग की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे किसान

खगड़िया। किसान भगवान भरोसे हैं। प्राकृतिक प्रकोप और कोरोना संकट के बीच किसानों ने गेहूं की फसल तैयार कर खेत-खलिहान से घरों तक लाया, परंतु सरकारी दर पर अब तक गेहूं की खरीदारी नहीं होने से उनमें निराशा व्याप्त है। प्रखंड की 22 पंचायतों में से अभी तक एक भी पंचायत में गेहूं खरीदारी शुरू नहीं हुई है। बीते वर्ष भी यहां गेहूं की सरकारी स्तर पर खरीदारी नहीं हुई थी। इस बात को बीसीओ अखिलेश कुमार भी स्वीकार करते हैं।

सहकारिता विभाग की लापरवाही से किसानों में आक्रोश हैं। लॉकडाउन के कारण गेहूं बाजार ले जाने में भी दिक्कत है। लाचार किसान दलालों के हाथों गेहूं बेचने को विवश है। वाम दलों ने लगातार गेहूं क्रय पैक्स माध्यम से करने की मांग की है। किसानों का कहना है कि सहकारिता विभाग, पैक्सों की लापरवाही से 31 मई तक गेहूं की सरकारी दर पर खरीदारी मुश्किल है। किसानों की मानें तो 1800 रुपये प्रति क्विटल गेहूं बेचने को वे विवश हैं, जबकि सरकारी दर 1925 रुपये प्रति क्विटल निर्धारित है। इस संबंध में बीसीओ अखिलेश कुमार ने कहा कि किसान सहकारिता की साइट पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर विधिवत पैक्स के माध्यम से गेहूं बिक्री कर सकते हैं। पैक्स को आदेश दे दिए गए हैं। उन्हें रजिस्ट्रेशन के समय जमीन की रसीद, बैंक अकाउंट की जरूरत होगी। सरकारी दर 1925 रुपये प्रति क्विटल है। बटाईदार भी 50 क्विटल तक गेहूं बेच सकते हैं।
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Posted By: Jagran
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