ग्रास हॉपर के प्रकोप से खराब हो गई मूंग की खेती

औरंगाबाद। बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि व आंधी के कहर से तिलहन, दलहन, गेहूं व आलू की फसल नष्ट हो गई है। इसके पहले पश्चिमी विक्षोभ तूफान के प्रभाव से खेत से लेकर खलिहान में रखा हुआ धान सड़ गया था। मौसम की मारे किसान अंदर से टूट चुके थे। इसके बावजूद किसानों ने गरमा मूंग की फसल लगाई। शुरू में फसल कुछ दिनों तक हरा भरा दिखा लेकिन फूल फली आने से पहले फुनगे व कीट उसे चट कर गए।

प्रखंड के आरती गांव के बबन सिंह, अजय ओझा व अभय ओझा सहित अन्य किसानों ने उन्नत किस्म के मूंग की खेती की थी। खेतों में सिर्फ डंठल ही शेष है। देखते-देखते भर में फुनगे (ग्रास हॉपर) कीट पत्तियां को चट कर गए। किसानों ने कहा ग्रास हॉपर से फसल को सुरक्षित कर पाना मुश्किल हो गया है। बताया कि प्रकृति की बेरुखी से अन्य तरह की दलहनी की खेती समाप्त हो गई थी। इसके पश्चात मूंग की फसल लगाई गई थी पर कीटों के भयंकर प्रकोप से थाली में दाल मिलने की आसार नहीं रह गई है। फसल उत्पादक उत्पादन लागत के लिए तरस रहें हैं।
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विदित हो कि फुनके के भयंकर प्रकोप से प्याज, गन्ना के साथ मूंग उड़द की खेती चौपट हो गई है। इससे किसानों को हजारों रुपये का नुकसान हुआ है। दूसरी तरफ रबी इनपुट योजना से भी अधिकारियों ने किसानों को अलग रखा है। कोट--- ग्रास हॉपर के अटैक से फसल समाप्त हो जाती है। खासकार 25 डिग्री से ऊपर या फिर 35 डिग्री से नीचे तापमान रहने पर इस कीट में प्रजनन क्षमता अधिक होती है। किसानों को प्रति वर्ष गर्मी के दिनों में मिट्टी पलट हल से खेत की जुताई व मेढ़ों की सफाई करना चाहिए। फसल में कीटों के प्रकोप पर साईफर मेथीन 25 प्रतिशत सवा लीटर दवा पानी में मिलाकर फसल पर सामूहिक रूप से स्प्रे करना चाहिए।
-डॉ. नित्यानंद, कृषि वैज्ञानिक
Posted By: Jagran
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