सभी बच्चों व लाभुकों को नहीं मिल पा रहा पोषाहार

- 511 केंद्रों के बच्चों और लाभुकों को नहीं मिला पोषाहार

-साल में नौ से दस महीने का ही मिल पाता है पोषाहार
-छह प्रखंडों के 49 हजार लाभुक रह गए वंचित जागरण संवाददाता, सुपौल: कुपोषण के खिलाफ मुहिम चलाने वाली परियोजना खुद कुपोषण की शिकार होती जा रही है। एक तो हमेशा से इस विभाग को बदनामी ही मिलती रही है। कभी निर्धारित मानदंडों पर लाभार्थियों को निवाला नहीं तो कहीं केंद्र की पूरी होती महज औपचारिकता तो कभी अन्य सुविधाएं नदारद। अब मई महीने को ही देख लीजिए एक तो पूर्व से सरकार के निर्देश पर जिलाधिकारी द्वारा तय की गई तारीख परियोजना द्वारा फेल कर दी जाती है और जब अगली तारीख तय की जाती है तो सैकड़ों केंद्र के हजारों लाभार्थी राशन व पोषाहार से वंचित हो जाते हैं। विभाग की मानें तो इस महीने राशि का आवंटन ही कम मिला है। नतीजा है कि जिले के राघोपुर परियोजना के 111, छातापुर के 132,प्रतापगंज के 55, मरौना के 72, सरायगढ़-भपटियाही के 54, किसनपुर के 87 केंद्रों को राशि उपलब्ध नहीं कराई जा सकी। यानी 511 केंद्रों के लाभार्थी इस महीने राशन और पोषाहार से वंचित रह गए। इतना ही नहीं शायद ही ऐसा कोई केंद्र होता हो जहां बारहो महीना को पोषाहार अथवा टीएचआर मिल जाता हो। अधिकांश केंद्रों पर नौ से दस महीने तक ही राशि मिल पाती है। पूर्व में जिलाधिकारी के आदेश के बावजूद नहीं बंटा पोषाहार
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जिले के सभी संचालित 2434 आंगनबाड़ी केंद्रों पर टीएचआर एवं दैनिक पोषाहार वितरण की तिथि जिलाधिकारी के द्वारा 15 मई शनिवार को निर्धारित की गई, लेकिन विभागीय उदासीनता एवं मनमानी के कारण जिले के किसी भी केंद्र पर टीएचआर एवं दैनिक पोषाहार वितरण नहीं किया गया। सीडीपीओ के द्वारा निर्धारित तिथि तक बाल विकास समिति के खाते में राशि हस्तांतरित नहीं की गई । जिला पदाधिकारी द्वारा जिले के सभी सीडीपीओ को 12 मई 2020 के द्वारा बेतार संवाद और ई मेल के माध्यम से जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर टीएचआर एवं दैनिक पोषाहार वितरण की तिथि 15 मई निर्धारित करते हुए सूचना दी गई थी। जिलाधिकारी ने जिले के सभी एसडीओ, सभी बीडीओ, सीओ एवं सीडीपीओ को अपने-अपने कार्यक्षेत्र अंतर्गत निर्धारित तिथि को की जाने वाली टीएचआर एवं दैनिक पोषाहार वितरण का कम से कम पांच-पांच आंगनबाड़ी केंद्रों की जांच कर जांच प्रतिवेदन फैक्स, ईमेल एवं विशेष दूत के माध्यम से उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया। डीएम ने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया था कि पोषाहार का वितरण लाभुक के घर पर जाकर किया जाना है। पोषाहार वितरण के समय सामाजिक दूरी का अनुपालन सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया गया है। लेकिन निर्धारित तिथि को जिले के किसी भी प्रखंड में पोषाहार वितरण नहीं किया गया। विदित हो कि सरकार के निर्देश पर जिलाधिकारी द्वारा प्रत्येक माह के 15 तारीख को टीएचआर वितरण की तिथि निर्धारित है, लेकिन ताज्जुब है कि आवंटन रहने के बावजूद भी बालविकास परियोजना के पदाधिकारियों की कार्यशैली के कारण यह तिथि अधिकांश महीने में विफल हो जाती है।
बच्चों को नहीं मिल पा रहा समय से निवाला
कोरोना के इस विकट काल में भी बच्चों को समय से निवाला नहीं मिल पा रहा है। दरअसल सरकार ने कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन को बंद कर दिया। परंतु केंद्र पर नामांकित बच्चे पोषाहार से वंचित न रहे इसके लिए बच्चों के बीच सूखा राशन वितरण करने का फैसला लिया गया। जिसके तहत प्रति बच्चा 2 किलोग्राम चावल तथा 1 किलोग्राम दाल पोषाहार के रूप में देने को कहा गया। इसके लिए प्रति बच्चा की दर से राशि भी केंद्र को उपलब्ध कराई गई। फैसला लिया गया कि जिस दिन केंद्र पर टेकहोम राशन का वितरण किया जाता है उसी दिन इन बच्चों के बीच भी पोषाहार का वितरण सूखा राशन के रूप में किया जाएगा। इस तरह टेकहोम के दिन एक केंद्र पर 40 बच्चे तथा 56 अन्य लाभुक समेत कुल 96 लाभुकों के बीच सूखा राशन का वितरण किया जाना है। इधर केंद्र पर नामांकित बच्चे या उनके अभिभावकों को इस बात का पता भी नहीं है कि केंद्र बंद रहने के बाद भी उनके बच्चों को पोषाहार मिलना है।
Posted By: Jagran
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