भारत-नेपाल सीमा विवाद पर चीन की भूमिका संदिग्ध

नेपाल द्वारा भारतीय क्षेत्र को अपना क्षेत्र बताते हुए,उत्तराखंड के तीन इलाक़े को अपने नक़्शे में दर्शाया है, इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कड़ा एतराज़ जताते हुए कहा है कि एकपक्षीय कार्यवाई एतिहासिक तथ्यों तथा प्रमाणों पर आधारित नहीं है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि, नेपाल द्वारा नया नक्शा जारी किया जाना ,सीमा संबंधी मुद्दों को बातचीत के जरिये हल किये जाने की द्विपक्षीय समझ के विपरीत है इस तरह नक़्शे पर नेपाल को अनुचित दावों से बचना चाहिए।

नेपाली कैबिनेट द्वारा पास किए गए इस राजनीतिक नक्शे में भारतीय राज्य के उत्तराखंड क्षेत्र लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाली क्षेत्र में दर्शाया गया है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के सांसदों ने कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख को नेपाल की सीमा में लौटाने की मांग करते हुए संसद में विशेष प्रस्ताव भी रखा था।नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार गयावली ने इस कदम की घोषणा से हफ्तों पहले कहा था कि कूटनीतिक पहलों के जरिए भारत के साथ सीमा विवाद को सुलझाने के प्रयास जारी हैं। 

चीन काफी समय से नेपाल की आड़ में भारत पर दबाव बनाने की कोशिश करता रहा है। नेपाल में कम्युनिस्ट सरकार चीन के लगातार संपर्क में रही है। ताजा मुहिम में भी चीन की भूमिका दिख रही है। चीन की मदद से कई परियोजना भारत की सुरक्षा चिंताओं की अनदेखी करके वहां शुरू की गई हैं। कूटनीतिक स्तर पर संकेत दिया गया है की बनाए गए तंत्र के जरिये वार्ता पर जोर देना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी और सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल लगातार स्थिति पर नज़र रखे हुए हैं और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दे रहे हैं।

अन्य समाचार