"डॉक्टरों एवं नर्सों" ने केंद्र सरकार के खिलाफ किया मोर्चा, कहा- पीएम को नहीं है हमारी चिंता..

लॉक डाउन-4 में दी गई छूट में केंद्र सरकार पीएम मोदी ने स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी किया था। जिसमें यह कहा गया है कि कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर एवं नर्सों को अब क्वारेंटीन करने की कोई जरूरत नहीं है। कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों एवं नर्सों को होटल या धर्मशाला के बजाय घर में रहने के लिए कहा गया है।

जिसके बाद गुरुवार को केंद्र सरकार के इस निर्देश के आधार पर दिल्ली के कई अस्पतालों ने नोटिस जारी करके डॉक्टरों को धर्मशाला एवं होटलों को खाली करने का आदेश दिया है। इस आदेश के बाद डॉक्टरों एवं नर्सों में भारी गुस्सा है। इनका कहना है कि वह अपनी जान पर खेलकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। लेकिन अगर उन्हें घर के बजाय धर्मशाला एवं होटल में क्वारेंटीन की सुविधा नहीं दी जाएगी, तो इसकी वजह से उनके घर वालों को भी इंफेक्शन हो सकता है। जिसके बाद कोरोना योद्धा डॉक्टर एवं नर्सों ने केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
जहां आज दिल्ली में डॉक्टर एवं नर्सेज एसोसिएशन के सदस्यों ने गाइडलाइन के खिलाफ अपनी बांह पर काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज किया। जबकि यह डॉक्टर और नर्स ने रूटीन दिनों की तरह अपना काम ही किया। बता दे कि केंद्र सरकार ने 15 मई को ही यह गाइडलाइंस जारी की थी। जिसके बाद कई अस्पतालों में यह नियम लागू कर दिया है।
गौरतलब है कि कोरोना मरीजों का इलाज करने वाले या उसके संपर्क में आने वाले सभी मेडिकल कर्मचारी को 14 दिन के लिए क्वॉरेंटाइन में रहना पड़ता था। लेकिन अब इस अनिवार्यता को केंद्र सरकार ने खत्म कर दिया है। जिसकी वजह से डॉक्टरों एवं नर्स द्वारा विरोध किया गया है। डॉक्टरों का कहना है कि क्या हम ही पर सारा जिम्मेदारी है, हम ही पर सारा जिम्मा है ? इस कठिन वक्त में कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों में यह नाराजगी देश के लिए अच्छा नहीं है। जो लोग पहले अच्छे तरीके से इलाज कर रहे थे। अब हो सकता है संक्रमण से बचने की वजह से वह अपने कामों पर ढिलाई भी दे सकते हैं।

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