Lockdown नहीं होता तो 29 लाख लोग हो सकते थे संक्रमित, जा सकती थीं 78 हजार की जान- नीति आयोग

भारत में कोरोनावायरस (Coronavirus) के एक लाख से ज्यादा केस आ चुके हैं. इस बीच सरकार ने कहा कि अगर समय रहते लॉकडाउन (Lockdown) नहीं किया जाता तो इस वक्त देश में स्थिति भयावह हो सकती थी.

दरअसल नीति आयोग (NITI Aayog) के सदस्य विनोद पॉल ने शुक्रवार को कई डेटा का हवाला देते हुए कहा, "अगर लॉकडाउन नहीं होता तो देश में संक्रमण के मामले 29 लाख तक पहुंच जाते. जबकि करीब 37 से 78 हजार लोगों की जान चली गई होती."
लॉकडाउन ने धीमी की वायरस की रफ्तार
पॉल ने कहा कि यह डेटा लॉकडाउन 1 और 2 के बीच किए गए लॉकडाउन और अन्य उपायों के प्रभाव पर आधारित है. भले ही विभिन्न एजेंसियों ने विश्लेषण किया हो, लेकिन परिणाम कमोबेश उसी निष्कर्ष के संकेत हैं कि लॉकडाउन देश में वायरस को काफी धीमा करने में कामयाब रहा है.
ग्रोथ रेट में भी हुई बढ़ोतरी
विनोद पॉल ने कहा कि 26 मार्च से 15 मई के बीच कोरोना संक्रमण के मामलों की ग्रोथ से काफी कुछ पता चलता है. उन्होंने बताया, 'देश में 3 अप्रैल तक 22.06 प्रतिशत तक की रफ्तार से केस बढ़ रहे थे. बाद में ये बढ़ोतरी 5.5 प्रतिशत पर आ गई. पहले केस 3.5 दिनों में डबल हो रहे थे, अब 13.5 दिन में दुगुने हो रहे हैं.'
10 शहरों में हैं 70 फीसदी केस
मालूम हो कि सरकार ने कई डेटा एक्सपर्ट से लॉकडाउन के फायदे और नुकसान को लेकर एक सर्वे कराया है, जिसमें निजी कंपनियों से लेकर विदेश के कंसल्टिंग ग्रुप भी शामिल हैं. पॉल के मुताबिक कोरोना के 60 फीसदी केस पांच शहरो में और 70 फीसदी केस केवल 10 शहरों में ही हैं. इसमें महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार और कर्नाटक शामिल हैं.
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