मन गलत दिशा में क्यों भागता है?

यदि मन को साफ़-साफ़ पता ही हो कि कुछ गलत है, तो उधर जाएगा नहीं। मन उधर को ही जाता है जिसके सही होने की हमने उसे गहरी शिक्षा दे रखी होती है। पहले तो इस यकीन को, इस मान्यता को निकाल दें मन से कि मन गलत तरफ की ओर आकर्षित होता है।


मन गलत की ओर आकर्षित नहीं होता, मन उधर को ही जाता है जिधर जाने में हमें सुख और आनंद मिलता है। और ये हमने उसे बता रखा है।
मन का अपना कुछ होता नहीं। मन तो एक खाली जगह होती है जिसमें वही सब भर जाता है जो तुम भरने देते हो। मन तो लगा लो एक खाली डब्बे की तरह है या एक खाली कंप्यूटर की तरह है। उसमें सॉफ्टवेयर हम डालते है। मन को पूरी ट्रेनिंग भी हम ही देते है। मन में सारे संस्कार, कंडीशनिंग हम खुद ही भरते है।
अब दिक्कत ये आती है कि हमीं ने वो संस्कार उसमें भरे, और एक दूसरे मौके पर हम देखते है कि ये संस्कार हमें ही नुकसान पहुंचा रहे हैं। और हम ही कहते भी है कि ये तो गलत दिशा है। यही हम यही सवाल पूछ रहे हो कि मन गलत दिशा में क्यों भागता है। अरे, वो दिशा गलत है ही नहीं। हम ही ने तो उसे सिखाया है ऐसा।

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