कोविड-19 का प्रसार लगातार जारी, 52 लाख से ज्यादा मुद्दे सामने आ चुके

कोविड-19 के लिए नए टीके का निर्माण अभी नजर नहीं आ रहा. ऐसे में वैज्ञानिक इस बात पर जोर दे रहे हैं कि अन्य बीमारियों में दी जाने वाली पुरानी दवाओं से क्या इस बीमारी की काट तैयार की जा सकती है. इस कड़ी में एंटीवायरल रेम्डेसिविर संभावित दावेदारों की सूची में सबसे आगे हैं.

कोविड-19 का प्रसार लगातार जारी है व संसार भर में इसके 52 लाख से ज्यादा मुद्दे सामने आ चुके हैं जबकि शनिवार तक तीन लाख 38 हजार से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो चुकी है. विशेषज्ञों का बोलना है कि ऐसे में इस बीमारी को लेकर कुछ श्रेणियों की दवाओं का नैदानिक परीक्षण चल रहा है. इनमें से रेम्डेसिविर ने कोविड-19 के अच्छा होने की दर तेज कर कुछ उम्मीदें जगाई हैं. इस दवा का परीक्षण प्रारम्भ में पांच वर्ष पहले खतरनाक इबोला वायरस के उपचार में किया गया था. अमेरिका के एक स्वतंत्र आर्थिक थिंक टैंक मिल्कन इंस्टीट्यूट के एक ट्रैकर के मुताबिक कोविड-19 के उपचार के लिए 130 से ज्यादा दवाओं को लेकर परीक्षण चल रहा है, कुछ में वायरस को रोकने की क्षमता हो सकती है, जबकि अन्य से अतिसक्रिय प्रतिरोधी रिएक्शन को शांत करने में मदद मिल सकती है. अतिसक्रिय प्रतिरोधी रिएक्शन से अंगों को नुकसान पहुंच सकता है. सीएसआईआर के भारतीय समवेत औषध संस्थान, जम्मू के निदेशक राम विश्वकर्मा ने पीटीआई-भाषा को बताया, 'फिलहाल, एक प्रभावी उपाय है…वह है अन्य बीमारियों के लिये पहले से स्वीकृत दवाओं का इस उद्देश्य के लिए प्रयोग कि क्या उनका इस्तेमाल कोविड-19 के लिये होने कि सम्भावना है. एक उदाहरण रेम्डेसिविर का है.'विश्वकर्मा ने बोला कि रेम्डेसिविर लोगों को तेजी से अच्छा होने में मदद कर रही है व गंभीर रूप से बीमार मरीजों में मृत्युदर कम कर रही है. यह ज़िंदगी रक्षक हो सकती है. विश्वकर्मा ने कहा, 'हमारे पास नयी दवाएं विकसित करने के लिये समय नहीं है. नयी औषधि विकसित करने में 5-10 वर्ष लकते हैं इसलिये हम मौजूदा दवाओं का प्रयोग कर रहे हैं व यह देखने के लिये नैदानिक परीक्षण कर रहे हैं कि वे प्रभावी हैं या नहीं.'उन्होंने बोला कि एचआईवी व विषाणु संक्रमणों के दौरान इलाज के तौर पर उपलब्ध कुछ अणुओं को नए कोरोना वायरस के विरूद्ध प्रयोग करके देखा जा सकता है. उन्होंने बोला कि अगर इन्हें प्रभावी पाया जाता है तो औषधि नियामक संस्थाओं से उचित अनुमति हासिल कर कोविड-19 के विरूद्ध इनका प्रयोग किया जा सकता है. विश्वकर्मा के मुताबिक इसके अतिरिक्त फेवीपीराविर से भी कुछ उम्मीदें हैं व कोविड-19 के विरूद्ध इसके प्रभावी होने को लेकर भी नैदानिक परीक्षण का दौर चल रहा है. सीएसआईआर के महानिदेशक शेखर मांडे ने इस महीने घोषणा की थी कि हैदराबाद स्थित भारतीय रसायन प्रौद्योगिकी संस्थान ने फेवीपिरावीर बनाने की प्रौद्योगिकी विकसित कर ली है. यूपी में स्थित शिव नादर विश्वविद्यालय में रसायन विभाग के प्रोफेसर शुभव्रत सेन भी इस बात से सहमत हैं कि जिन दवाओं का परीक्षण चल रहा है उनमें रेम्डेसिविर से सबसे ज्यादा उम्मीद है. सेन ने बोला कि जिन दवाओं का परीक्षण चल रहा है उनमें से कुछ एंटीवायरल है व कुछ एंटीमलेरिया व एंटीबायोटिक हैं.

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