घर के पास सुकून, परिवार से दूरी का दर्द

जहानाबाद : अब घर के पास हैं यह सुकून की बात है। परिवार से दूर रहने का दर्द भी अभी साथ नहीं छोड़ा। पेट भर भात-रोटी खा रहे हैं लेकिन अपनों से दूर रहना खल रहा है। परदेसी से आते थे तो स्वजनों में उत्साह रहता था। परिवार के सभी सदस्यों को कुछ तोहफे का इंतजार रहता था। इस बार खाली हाथ ही आना पड़ा है। कोरोना संक्रमण काल में दूसरे प्रदेश में जो दुर्गति हो रही थी पीड़ादायक है। वहां मदद करने वाला कोई नहीं था। किसी तरह क्वारंटाइन का समय काट लेना है इसके बाद रोजी-रोटी का कोई जुगार के बारे में सोचेंगे। भगवान कोई न कोई रास्ता जरूर दिखा ही देगें। कुछ इसी तरह की बातें कर रहे हैं-प्रखंड क्षेत्र के देवनंदन इंटर विद्यालय बंधुगंज में बने क्वारंटाइन सेंटर में। सेंटर में 105 प्रवासी हैं जिसमें नौ महिलाएं, चार बच्चे तथा चार बच्चियां शामिल है। समय 7:00 बजे विद्यालय का नजारा बदला- बदला सा था। कभी छात्र-छात्राओं से गुलजार रहने वाले कैंपस में सन्नाटा पसरा हुआ था। मुख्य द्वार पर पुलिस के जवान मुस्तैद थे। अनाधिकृत रूप से किसी को प्रवेश की अनुमति नहीं थी। परिसर में कुछ लोग शांत भाव से खड़े थे। पूछने पर पता चला कि वे लोग प्रवासी ही हैं।

पैक्स को उधारी से अच्छा गेहूं का दाम साव जी से नकद यह भी पढ़ें
प्रवासियों को चाय और बिस्कुट दिया जा रहा था। वहां रह रहे बच्चे बच्चियों के लिए सुधा दूध का एक'' एक पैकेट भी आया।सर्व कर रहे कर्मी हाथ में दस्ताने तथा मुंह में मास्क लगा रखे थे। शारीरिक दूरी का पूरा ख्याल रखा जा रहा था। समय 8:00 बजे
कई प्रवासी विद्यालय परिसर के चापाकल के समीप ब्रश कर रहे थे तो कई अपने कमरे में ही बैठे थे। इसी बीच उन लोगों से हमारी बातचीत होने लगी। बातचीत के क्रम में एक युवक ने बताया कि यहां खाने-पीने की कोई समस्या नहीं है फिर भी समय नहीं बीत रहा है। समय काटने के लिए फोन से इधर-उधर बात करते रहते हैं। दूसरे बेड पर बैठे एक अन्य प्रवासी ने बताया कि हम 10 वर्षों से परदेस में ही रह रहे थे। पर्व त्यौहार तथा अन्य मौके पर जब कभी घर आते थे तो परिवार के सभी सदस्यों के लिए कुछ न कुछ जरूर लाते थे। लेकिन इस बार तो साथ में फूटी कौड़ी भी नहीं है। समय 9:00 बजे सभी लोग स्नान कर अपने - अपने कमरे में ही थे। नाश्ते के रूप में प्रवासियों को ब्रेड दिया गया। कमरा संख्या तीन में एक प्रवासी काफी मायूस बैठा था। उसकी उदासी किसी गहरे दर्द को उजागर कर रहा था। कई बार पूछने पर उसने बताया कि रात में ही घर से फोन आया था। परिवार के लोग काफी परेशान हैं। घर में राशन की भी कमी हो रही है। कोई सगे संबंधी भी मदद के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। मेरी ही कमाई से माता-पिता के साथ परिवार के छह लोगों का पालन पोषण होता था। इधर तो दो महीने से घर में एक भी पैसा नहीं भेज सके हैं। हालांकि पीडीएस दुकान से कुछ राशन मिला था लेकिन अब वह भी समाप्त होने वाला है। समय 10:00 बजे
सफाई कर्मी झाड़ू लगाने में जुटे थे। सैनिटाइजर का भी छिड़काव किया जा रहा था। वहां काम कर रहे
लोगों ने बताया कि हम लोग सभी आवश्यक सावधानी बरतते हैं। अपने आप को पूरी तरह से सैनिटाइज रखते हैं। समय 11: 00 बजे
प्रवासी अपने अपने कमरे में आराम कर रहे थे। उन लोगों से बातचीत का सिलसिला फिर प्रारंभ हुआ। एक व्यक्ति ने बताया कि रोजी रोटी की तलाश में प्रदेश जाना मजबूरी थी। अब यही कोशिश रहेगी कि अपने घर के आस-पास ही कोई धंधा शुरू करें। इसी दौरान एक युवक का कहना था कि हमारे पिताजी बाहर जाने से मना करते थे। लेकिन जब कई साथी बाहर चले गए तो हमारी भी इच्छा हुई। वहां तो काम की कोई कमी नहीं थी लेकिन आदमी मशीन बना हुआ था। अब पिताजी के साथ खेत में ही काम करेंगे। समय 12 :00बजे
क्वारंटाइन सेंटर में कुछ कर्मी पहुंचे। उन लोगों द्वारा मेनू तथा अन्य चीजों की जानकारी हासिल की जाने लगी। कर्मियों ने बताया कि हम लोगों को प्रतिदिन रिपोर्ट भेजना पड़ता है। यदि किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी हुई तो हमारी नौकरी खतरे में पड़ सकती है। यहां का व्यवस्था तथा कर्मियों की तत्परता दिल को सुकून दे रहा था। प्रदेश से थके हारे आने वाले प्रवासियों को यहां अपनत्व का बोध भी हो रहा था। समय:1:00 बजे
भोजन का समय हो गया था। सभी प्रवासी भोजन लेने के लिए दूरी बनाकर कतार में खड़े थे। थाली में चावल - दाल, आलू चना की सब्जी, भुजिया ,पापड़ तथा सलाद दिया जा रहा था। बच्चों के लिए दूध की भी व्यवस्था की गई थी। सभी प्रवासी खाना लेकर अपने- अपने कमरे में चले गए। खाना खाने के उपरांत पूरे परिसर तथा कमरे की सफाई की गई।
Posted By: Jagran
डाउनलोड करें जागरण एप और न्यूज़ जगत की सभी खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस

अन्य समाचार