प्रवासियों को रोकने का प्लेटफॉर्म तैयार करेगा कृषि विश्वविद्यालय

- टॉल फ्री नंबर व वेबसाइट के जरिए शुरू किया गया रजिस्ट्रेशन

- लॉकडाउन के बाद कृषि कॉलेजों व केवीके के द्वारा दिया जाएगा प्रशिक्षण
जागरण संवाददाता, किशनगंज : मौजूदा दौर में खेती किसानी व लघु उद्योगों को बढ़ावा देकर पलायन रोकने के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा एक रोडमैप तैयार किया गया है। बड़ी तादाद में गांव लौट रहे प्रवासियों को स्वरोजगार से जोड़कर आर्थिक समृद्धि का अवसर प्रदान करने के लिए कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जाएगा। युवाओं को मशरूम उत्पादन, पॉली हाउस, मधुमक्खी पालन, बकरी पालन, पशुपालन, नर्सरी, उद्यान समेत अन्य प्रशिक्षण देकर उद्यमिता विकास का प्लेटफॉर्म तैयार किया जाएगा। कृषि कॉलेजों व विभिन्न जिलों में स्थापित कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से कौशल विकास को हथियार बना प्रवासियों को थामने के साथ-साथ खेती किसानी व छोटे-छोटे उद्योगों के माध्यम से आर्थिक समृद्धि का बकायदा एक खाका तैयार कर लिया गया है।
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बिहार कृषि विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. आर. के. सोहाने बताते हैं कि बजाप्ता तैयारी प्रारंभ कर दी गई है। प्रशिक्षण के लिए रजिस्ट्रेशन कराने हेतु टॉल फ्री नंबर(18003456455), वाट्सएप नंबर(7004528893) व विश्वविद्यालय का वेबसाइट एड्रेस भी जारी किए गए हैं। वेबसाइट के माध्यम से अब तक एक सौ से अधिक लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। हालांकि इसके लिए कृषि कॉलेजों व कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से गांवों में जागरुकता अभियान भी चलाया जाएगा। ताकि अधिक से अधिक बेरोजगार युवा प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वरोजगार से जुड़ सकें। लॉकडाउन के बाद प्रशिक्षण शुरू किया जाएगा। प्रत्येक बैच में 30 को प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण शिविर 50-60 दिनों का होगा।
इन केंद्रों के द्वारा दिए गए जाएंगे प्रशिक्षण
बिहार कृषि विश्वविद्यायल के द्वारा तैयार किया गया खाका के अनुसार डॉ. कलाम कृषि कॉलेज किशनगंज, भोलापासवान शास्त्री कृषि कॉलेज पूर्णिया, भारती मंडन कृषि कॉलेज सहरसा, वीर कुंवर सिंह कृषि कॉलेज डुमरांव व नालंदा उद्यान महाविद्यालय नूरसराय में प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही कृषि विज्ञान केंद्र अररिया, अरवल, बांका, भागलपुर, जहानाबाद, किशनगंज, नालंदा, पटना, रोहतास, खगड़िया, कटिहार, मुंगेर, सहरसा, सुपौल, शेखपुरा, मधेपुरा, गया, पूर्णिया, पटना व बांका में प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाएंगे। डेयरी फॉर्म, मशरूम उत्पादन, ऑर्गेनिक उत्पाद, औषधीय पौधे का उत्पादन, उद्यान प्रशिक्षण, पॉल्ट्री, मधुमक्खी पालन, समेकित कृषि प्रणाली, सब्जी उत्पादन, फल उत्पादन, मखाना उत्पादन, अनानास उत्पादन के साथ प्रसंस्करण का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। ताकि उत्पदान के साथ-साथ अपने उत्पाद का वैल्यू एडिशन कर अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकें और स्वरोजगार के असवर भी बढ़ा सकें।
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कोट - कोरोना संकट को लेकर घर लौैट हरे प्रवासियों को स्वरोजार से जोड़ने के लिए बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण देने की योजना बनाई गई है। ताकि प्रशिक्षण प्राप्त कर युवावर्ग स्वरोजगार के साथ-साथ रोजगार सृजन कर सकें। लाखों की संख्या में प्रवासी श्रमिकों के लौटने का अनुमान है। श्रमिकों का सदुपयोग कर खेती किसानी और छोटे-छोटे उद्यमों के माध्यम से आर्थिक समृद्धि का एक बेहतर प्लेटफॉर्म तैयार किए जाने का प्रयास है।
डॉ. अजय कुमार सिंह, कुलपति, बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर।
Posted By: Jagran
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