कोरोना वायरस के चलते अपने खान-पान पर दे ध्यान

खानपान व व्यवहार युवाओं को अब पारंपरिक खाने का स्वाद आने लगा है. बाजार फूड से जुड़ी बीमारियां घटेंगी. पहले की तरह किचन में जूते-चप्पल नहीं ले जाने का महत्व बढ़ा है. हमारे नमस्कार-प्रणाम को संसार ने संक्रमण घटाने में मददगार माना है.

परिवार के साथ भोजन लॉकडाउन में लोगों को परिवार का महत्व समझ में आया है. एकसाथ बैठकर खाने के भी कई फायदा हैं. समस्याओं को साझाकर तनावरहित मन से भोजन ग्रहण करते हैं. इससे पाचन और हार्मोन से जुड़े रोगों से बचाव होता है. रचनात्मकता बढ़ी है प्रकृति को समीप से जानने का मौका मिला है. लोगों में रचनात्मकता बढ़ी है. कुछ लोग किताबें पढऩे, लेखन या चित्रकारी जैसे पुराने शौक से फिर जुड़े हैं. योग-व्यायाम से जुड़े जो पहले व्यस्तता के कारण स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पा रहे थे, वे अब योग-व्यायाम करने लगे हैं. सीमित संसाधनों की शिकायतें करने वाले अब कम में भी जीने का महत्व समझने लगे हैं. आयुर्वेद व नुस्खों पर भरोसा बढ़ा है इम्युनिटी बढ़ाने के लिए काढ़े से लेकर गुनगुना पानी-नमक के गरारे जैसे आयुर्वेदिक तरीका और दादी-नानी के नुस्खों को अपना रहे हैं. इससे स्वास्थ्य और इम्युनिटी में सुधार दिखेगा. मन की शांति के लिए अध्यात्म से भी जुड़ रहे हैं. अन्य बीमारियों में राहत पब्लिक हैल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया का बोलना है पिछले दिनों हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक व दूसरी इमरजेंसी के मुद्दे कम आए. इसकी कई वजह हो सकती हैं. इसमें भागदौड़ का कम होना, पर्याप्त नींद लेना, परिवार का साथ आदि है. सोशल डिस्टेंसिंग व बाहर की चीजें नहीं खाने से भी राहत है. मानसिक मजबूती के साथ कई अन्य फायदे छोटी-छोटी समस्याओं को लेकर परेशान होने वाली युवा पीढ़ी को मानसिक मजबूती मिली है. केवल वर्तमान को सबकुछ मानने वाले युवाओं को समझ में आ गया है कि भविष्य को भी ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है. इसमें घर के बड़े-बुजुर्गों का साथ और सलाह भी बहुत ज्यादा मददगार रही है. ऐसे लोग जो कामकाज की व्यस्तता के कारण अपने आसपास के लोगों को पहचानते नहीं थे वे भी अब आपसी संवाद करने लगे हैं. रोज नशा करने वालों को लगता था कि वे इसके बिना जी नहीं पाएंगे. अब दो महीने बिना नशे के स्वास्थ्य अच्छी हुई तो यह लत भी छूट जाएगी.

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