Covid-19: वायरस के अलग-अलग भागों को टारगेट कर कोविड-19 से लड़ता है शरीर, जानें कैसे

कोरोना वायरस ने दुनियाभर में लाखों लोगों को चपेट में लिया है। कोविड-19 से जंग लड़ने के बाद कई मरीज रिकवर हुए। अब एक नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया है कि रिकवर हुए मरीजों ने वायरस से अलग तरीके से लड़ाई लड़ी क्योंकि उनके शरीर ने अलग-अलग रणनीतियों का इस्तेमाल किया था। उन्होंने यह भी पाया कि वायरस पर हमला करने वाले एंटीबॉडी केवल दो सप्ताह तक रहते हैं। डॉ. अजय मोहन का कहना है कि कोरोना वायरस मनुष्यों के शरीर के कई हिस्सों में संक्रमण पैदा कर देता है। यह मुख्य रूप से नाक, साइनस और गले के ऊपरी भाग को प्रभावित करता है।चीन के बीजिंग में एकेडमी ऑफ मिलिट्री मेडिकल साइंसेज के स्टडी ऑथर चेंग-फेंग किन कहते हैं, 'ये निष्कर्ष वैक्सीन डिजाइन के लिए काम के हो सकते हैं। हम इस बारे में बहुत कुछ नहीं जानते हैं कि नए कोरोनो वायरस के लिए सुरक्षात्मक इम्यून सिस्टम कैसे प्रतिक्रिया करता है। लेकिन इस बारे में जानकर एक प्रभावी टीका विकसित करने में तेजी आ सकती है।'सिंघुआ यूनिवर्सिटी के को-सीनियर स्टडी ऑथर चेन डोंग कहते हैं, 'हमारे काम ने सुरक्षात्मक इम्यूनिटी के आगे के विश्लेषण के लिए और विशेष रूप से गंभीर मामलों में कोविड -19 के विकास को समझने के लिए एक आधार प्रदान किया है।'इस अध्ययन में, चीनी शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस से रिकवर हुए 14 मरीजों का अध्ययन किया, जिन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। आठ रोगियों को हाल ही में छुट्टी दे दी गई थी और शेष दो सप्ताह पहले अस्पताल से चले गए थे। टीम ने दो समूहों से रक्त के नमूने लिए। 14 रिकवर हुए मरीजों और छह अन्य कंट्रोल ग्रुप के जिन्हें संक्रमण नहीं था। फिर उन्होंने एंटीबॉडी के लिए रक्त के नमूनों का विश्लेषण किया और उनकी तुलना की। उन्होंने रिकवर हुए मरीजों के रक्त के नमूनों में दो सुरक्षात्मक मानव कोशिकाएं बी और टी कोशिकाएं पाईं। चेन के मुताबिक, 'इन निष्कर्षों का सुझाव है कि बी और टी दोनों कोशिकाएं वायरल संक्रमण के खिलाफ इम्यूनिटी में हिस्सा लेती हैं।'कोविड-19 संक्रमण के शुरुआती चरणों के दौरान, बी कोशिकाएं आईजीएम नामक एक एंटीबॉडी बनाती हैं। कुछ दिनों के बाद, कोशिकाएं दूसरे प्रकार का उत्पादन करती हैं, जिसे आईजीजी कहा जाता है। कंट्रोल ग्रुप की तुलना में रिकवर हुए मरीजों में दोनों एंटीबॉडी के उच्च स्तर थे। टीम डिस्चार्ज होने के दो सप्ताह बाद तक उनका पता लगा सकी।इसके अलावा, हाल ही में डिस्चार्ज किए गए छह मरीजों में से पांच में एक अन्य प्रकार के एंटीबॉडी के उच्च स्तर थे, जो रोगाणु से मानव कोशिकाओं की रक्षा करने के लिए जाना जाता था। इन पांच प्रतिभागियों में टी कोशिकाओं का स्तर भी अधिक था। ये कोशिकाएं एक अणु को रिलीज करती हैं जो बचाव को मजबूत करने में मदद करता है।शोधकर्ताओं ने देखा कि इन रोगियों ने सुरक्षात्मक कोशिकाएं विकसित कीं, जिनके पास अलग-अलग लक्ष्य थे। इन निष्कर्षों ने सुझाव दिया कि शरीर वायरस के विभिन्न हिस्सों को टारगेट करके संक्रमण से लड़ते हैं लेकिन वे इसके पीछे के कारण को नहीं समझते हैं। वायरस के ये अलग-अलग हिस्से किसी हमले की चपेट में हैं। इस जानकारी का इस्तेमाल करते हुए वैज्ञानिक टीकों का विकास कर सकते हैं।शोधकर्ताओं के मुताबिक, 'निष्कर्ष बताते हैं कि टीके एक विशेष कोरोना वायरस हिस्से को टारगेट करते हैं जिसे स्पाइक प्रोटीन कहा जाता है। इस प्रोटीन के बिना वायरस मानव कोशिकाओं को संक्रमित नहीं कर सकता है। हमारे परिणाम बताते हैं कि स्पाइक प्रोटीन सार्स-सीओवी-2 टीकों के लिए एक आशाजनक लक्ष्य है।'शोधकर्ता मानते हैं कि उनका अध्ययन छोटा था। अधिक रिकवर मरीजों के डेटा से शोधकर्ताओं को इस विषय में अधिक अंतर्दृष्टि पाने में मदद मिल सकती है।अधिक जानकारी के लिए देखें : https://www.myupchar.com/disease/coronavirus-infection

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