ग्रामीण अर्थव्यवस्था को लगा कोरोना का डंक

सुपौल। जिले की 30 फीसद आबादी को परदेश का सहारा था। कोरोना संक्रमण को लेकर लगे लॉकडाउन में बाहर काम बंद हो गए। वहां रह-रह के पेट पर आफत आने लगी। नतीजा हुआ कि 30 फीसद लोग घर लौट चुके हैं और आने का सिलसिला जारी है। परदेश में काम बंद होने से बाहर से पैसे आने बंद हो गए इससे गांव में स्वजन की परेशानी बढ गई। अब या तो उधार के पैसे से जल रहे चूल्हे या अन्न के बदले सामान खरीदते पुरानी परिपाटी शुरू हो गई है। कुल मिलाकर कहा जाय तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को कोरोना का डंक लग गया है। एक समय था जब परदेश कमाने के लिए गए अपने परिवार के सदस्य के मनीआर्डर की राह घर में रिश्तेदार देखते रहते थे। गांव में भी राशनवाले, कपड़े वाले, दवा वाले यानी सबको पता रहता था कि किसका मनीआर्डर कब और कितना आता है। इस जानकारी के कारण समय से सब चीज उपलब्ध हो जाती थी। मनीआर्डर की व्यवस्था बदल गई इसका स्थान मनी ट्रांसफर ने लिया। खैर मनीआर्डर हो या ट्रांसफर पैसे तो आते रहते थे घर की व्यवस्था चलती रहती थी। इधर कोरोना का संक्रमण काल शुरू हुआ तो सारी व्यवस्था चौपट हो गई। परदेश में जब खुद खाने के लाले पड गये तो घर पैसे भेजने का सवाल ही कहां रहा। मरौना के रामप्रवेश बताते हैं कि पंजाब में राज मिस्त्री का काम करते थे। मजदूरों को साथ रखकर मकान बनाने काम लेते थे। अच्छी आमदनी हो जाती थी। कोरोना संक्रमण को लेकर जब लॉकडाउन लगा तो काम बंद हो गया। एक तो बीमारी का डर दूसरी पेट की चिता सो घर वापस आ गये। फिलहाल यहां भी काम नहीं मिल रहा है। आस-पड़ोस के लोगो से उधार-पैंच कर काम चला रहे हैं। वहीं इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में अन्न विनिमय की पुरानी परिपाटी भी विकसित हो रही है। लोग अन्न लेकर दुकान जाते हैं और अपनी जरूरत का सामान ले आते हैं। कटैया के श्यामसुंदर मंडल नोएडा में फैक्ट्री में काम करते थे। अन्य लोगों की तरह लॉकडाउन से प्रभावित हुए तो घर आने का ट्रेन पकड़ लिए। कहा कि बाप-दादा की थोड़ी-बहुत जमीन है। उसमें वे जो पैसे भेजते थे उससे घर के लोग खेती करते थे। इस साल गेहूं की फसल अच्छी हुई है। उसे बेचकर परिवार चल रहा है। जब यह खत्म हो जाएगा तो भगवान मालिक।


बहरहाल ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की परेशानी काफी बढ़ी हुई है। वैसे लोग जिनके हाथ में हुनर है उनकी उम्मीद तो टिकी हुई है लेकिन फैक्ट्री वगैरह में काम करने वालों की समझ में नहीं आ रहा कि वे आगे क्या करेंगे।
Posted By: Jagran
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