तियर नदी पर डोलते पुल से गुजरते वाहन

मोतिहारी। दर्जनों गांवों को प्रखंड, अनुमंडल तथा जिला मुख्यालय से जोड़ने वाला गोलापकड़िया गांव के समीप स्थित तियर नदी पर बना पुल वर्षो से क्षतिग्रस्त हो गया है। इस पुल पर चलने से यह डोलता है। बावजूद इसके इस पुल से होकर गुजरना लोगों की मजबूरी है। जान हथेली पर लेकर अपने ईष्ट देव का स्मरण करते हुए लोग इस पुल से गु•ारते है। ग्रामीण विकास विभाग ने गत वर्ष पूर्व दैनिक जागरण में इस पुल की तस्वीर और रपट प्रमुखता से प्रकाशित होने पर इस पुल के दोनों छोर पर पुल क्षतिग्रस्त है का बोर्ड लटका कर अपनी जिम्मेवारी से मुक्ति ले लिया है। इधर आलम यह है कि प्रतिदिन दर्जनों ट्रैक्टर ट्रॉली ईंट लेकर इस हिलते-डोलते पुल से गुजरते है। किसी भी क्षण यह पुल किसी भयंकर हादसे को अंजाम दे सकता है। ग्रामीण इस बात से भी भयभीत है कि इस पुल के टूट जाने के बाद दर्जनों गांव का सड़क संपर्क प्रखंड, अनुमंडल, एवं जिला मुख्यालय से भंग हो जाएगा। इस पुल का निर्माण 2003-2004 में तत्कालीन राज्य सभा सांसद सुभाष यादव के ऐच्छिक कोष से ई. शशिभूषण सिंह ने कराया था। इस पुल के बन जाने के बाद बनकटवा, घोड़ासहन और चिरैया प्रखंड के दर्जनों गांव का सड़क संपर्क प्रखंड से लेकर अनुमंडल और जिला मुख्यालय मोतिहारी से हो गया था। वर्ष 2017 में आई प्रलयंकारी बाढ़ ने इस पुल को बीच में ही क्षतिग्रस्त कर दिया। उस भयानक रात की याद लोगों को आज भी है। उसको याद करते हुए गोलापकड़िया के मुखिया पति रजनीश कुमार मिश्रा बताते है की एक भयानक आवाज आई लोग सहम गए सुबह जब देखा गया तो पुल बीच में ही लटक कर टूट गया था। तब से यह पुल क्षतिग्रस्त है।

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ग्रामीण विकास विभाग ने भेजा प्रस्ताव विधायक डॉ. शमीम अहमद की पहल पर ग्रामीण विकास विभाग के कार्यपालक अभियंता के नेतृत्व में अभियंताओं की टीम ने स्थल निरीक्षण कर विभाग को प्रस्ताव भेजा। जिसमें बताया गया था कि इस पुल के बगल में ही 90 मीटर आरसीसी नया पुल बनेगा। तब से आज तक ग्रामीण पुल निर्माण का बांट जोह रहे हैं। नहीं तो पुल के क्षतिग्रस्त भाग का निर्माण हुआ और न तो नया पुल ही बना । इधर लोगों को आशंका है कि इस साल के बरसात के मौसम में बाढ़ की स्थिति में जार हो चुकी यह पुल झेल नही पाये गा और ध्वस्त हो जाये गा। इस आशंका से ही लोग सहम जाते है। ------
क्या कहते हैं अधिकारी :
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ग्रामीण विकास विभाग के कार्यपालक अभियंता किशोर कुमार ने दूरभाष पर बताया कि इस समय मुख्यालय में नहीं है। पूरी स्थिति की जानकारी उन्हें नहीं है। उन्होंने कनीय अभियंता राजेन्द्र प्रसाद से बात करने का सुझाव दिया। कनीय अभियंता ने दूरभाष पर बताया कि इस पुल के बगल में ही एक दूसरा 90 मीटर का आरसीसी पुल का प्रस्ताव विभाग को भेज गया है। विधायक की अनुशंसा भी लगी हुई है। कितु अभी तक इसकी स्वीकृति प्राप्त नहीं हो सकी है। स्वीकृति मिलते ही इस पर कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा।
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कहते हैं विधायक :-
विधायक डॉ. शमीम अहमद ने बताया कि वे लगातार इस दिशा में प्रयास करते रहे है। विधानसभा में शून्य काल के माध्यम से उन्होंने कई बार इस समस्या पर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने का प्रयास किया है। उन्होंने बताया कि वे स्वयं मुख्यमंत्री से मिल कर पत्र के माध्यम से वस्तु स्थिति की जानकारी दी है। किन्तु जरूरी मांगों के प्रति भी सरकार पता नहीं किन कारणों से हमारे क्षेत्र के प्रति आंख मूंद रही है। उन्होंने सरकार पर भेदभाव और पक्षपात का आरोप लगाया।
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कहते हैं मुखिया पति :
मुखिया पति रजनीश मिश्रा ने बताया कि पुल क्षतिग्रस्त होने के बाद से ही वे लगातार जनप्रतिनिधियों से इस ओर ध्यान देकर पुल निर्माण की मांग करते रहे हैं। कहा कि इस पुल के ध्वस्त हो जाने के बाद दर्जनों गांव का संपर्क जिला मुख्यालय से भंग हो जाएगा।
Posted By: Jagran
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