इम्यूनिटी पासपोर्ट क्या है?, आइए जानिए इसके बारे में

कोरोना वायरस ने पूरी संसार को अपनी चपेट में ले लिया है. हिंदुस्तान में भी कोविड-19 के मुद्दे तेजी से बढ़ रहे हैं. लोगों के मन में रोज नए-नए सवाल उठ रहे हैं.

यहां हम दुनिया स्वास्थ्य संगठन, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय व विशेषज्ञों द्वारा दी जा रही कोरोना से जुड़ी जानकारियों को आप तक पहुंचाएंगे.
इम्यूनिटी पासपोर्ट क्या है व यह शब्द इन दिनों सुर्खियों में क्यों है? कोविड-19 का टीका बनने में कई माह लग सकते हैं, इसे देखते हुए कुछ देश इस तरह के सर्टिफिकेट को अपनाने की आवश्यकता पर बल दे रहे हैं, जो किसी आदमी को संक्रमण के विरूद्ध इम्यूनिटी रखने वाला प्रमाणित करता हो. इसके तहत, जिस आदमी की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होगी, उसे 'इम्यूनिटी पासपोर्ट' देकर उसे शारीरिक दूरी के प्रतिबंधों में राहत दी जा सकती है व वह कामकाज पर लौट सकता है. विषाणु विज्ञानी उपासना रे का बोलना है कि इम्यूनिटी पासपोर्ट इस बात का प्रमाणपत्र है कि कोई आदमी कोविड-19 के विरूद्ध इम्यूनिटी की क्षमता रखता है.
क्या वैक्सीन आ जाने के बाद कोविड-19 का प्रकोप पूरी तरह समाप्त हो जाएगा? ऐसा नहीं है कि कोविड-19 की वैक्सीन बन जाने के बाद यह पूरी तरह खत्म हो जाएगा. दुनिया स्वास्थ्य संगठन के साथ-साथ तमाम विशेषज्ञ भी मान रहे हैं कि वैक्सीन आ जाने के बाद यह मीजल्स, एचआईवी व चिकनपॉक्स की तरह एक स्थानिक बीमारी बनकर रहेगा. हमें इसके साथ रहना सीखना होगा व इसके विरूद्ध सियासी व सामाजिक स्तर पर दीर्घकालिक नीति बनानी होगी. जुकाम के लक्षण देने वाले इससे पहले चार एनडेमिक कोरोना वायरस हैं, कोविड-19 ऐसा पांचवा वायरस बन जाएगा.
बच्चों में संक्रमण की आंशका कम क्यों होती है? वैज्ञानिकों के अनुसार, कोविड-19 वायरस का शरीर में पहला प्रवेश नेजल एपीलियम में एसीई2 जीन एक्सप्रेशन के जरिए होता है. अध्ययन के अनुसार, बच्चों के शरीर में इनकी संख्या कम होती है, जो आयु के हिसाब से बढ़ती रहती है. अमेरिका के माउंट सिनाई हेल्थ सिस्टम में 305 मरीजों के अध्ययन पर आधारित यह रिपोर्ट जेएएमए में प्रकाशित हुई है. हालांकि वैज्ञानिकों का मानना है कि इस विषय में व अध्ययन किए जाने की आवश्यकता है.

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