सेविका-सहायिका के बकाया मानदेय पर निदेशक हुए गंभीर, एक सप्ताह के अंदर होगा भुगतान

-राशि उपलब्ध रहने के बावजूद चार साल पूर्व के बकाया मानदेय का नहीं किया जा रहा था भुगतान

-दैनिक जागरण में छपी खबर तो निदेशक ने लिया संज्ञान, एक सप्ताह के अंदर बकाया भुगतान का दिया आदेश जागरण संवाददाता, सुपौल: चार साल पूर्व के आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका के बकाया मानदेय
का भुगतान राशि उपलब्ध रहने के बावजूद सीडीपीओ के द्वारा नहीं किए जाने पर निदेशक आईसीडीएस ने मामले को गंभीरता से लिया है। आईसीडीएस के निदेशक ने डीपीओ को पत्र लिखकर एक सप्ताह के अंदर बकाया मानदेय की राशि का भुगतान कराते हुए समेकित उपयोगिता प्रमाण पत्र निदेशालय को समर्पित करने का आदेश दिया है। दैनिक जागरण ने राशि उपलब्ध रहने के बावजूद चार वर्ष पूर्व के बकाये भुगतान नहीं किए जाने की खबर को प्राथमिकता के आधार पर 27 मई के अंक में प्रकाशित किया था।

समाज कल्याण विभाग अंतर्गत आईसीडीएस निदेशालय बिहार पटना के निदेशक ने अपने कार्यालय पत्रांक 2561 दिनांक 28 मई 2020 को डीपीओ सुपौल को पत्र लिखकर आंगनबाड़ी सेविका सहायिका के मार्च 2017 के पूर्व के बकाया मानदेय के भुगतान हेतु भेजी गई राशि का एक सप्ताह के अंदर भुगतान कर उपयोगिता प्रमाण पत्र समर्पित करने का आदेश दिया है। निदेशक ने अपने पत्र में लिखा है कि आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका के मार्च 2017 के पूर्व के बकाया मानदेय की राशि की मांग जिला स्तर से की गई थी। जो निदेशालय के पत्रांक 1337 दिनांक 20 फरवरी 2020, पत्रांक 1520
दिनांक 27 फरवरी 2020,पत्रांक 1544 दिनांक 28 फरवरी 2020, पत्रांक 2826 दिनांक 6 मार्च 2020 एवं पत्रांक 2199 दिनांक 20 मार्च 2020 के द्वारा सीधे सीडीपीओ के खाते में डीबीटी के माध्यम से स्थांतरित कर दिया गया है। उक्त राशि को 31 मार्च 2020 तक खर्च कर उपयोगिता प्रमाणपत्र निदेशालय को भेजने का निदेश दिया गया था जो अब तक अप्राप्त है।
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चार महीने से खाते की शोभा बढ़ा रही राशि
मानदेय का भु्गतान हेतु फरवरी 2020 में ही सरकार द्वारा राशि परियोजना को उपलब्ध करा दिए जाने के बावजूद आजतक मानदेय का भुगतान नहीं हो सका है। आईसीडीएस के निदेशक ने 27 फरवरी 2020 को ही राशि उपलब्ध कराते हुए अविलंब मानदेय का भुगतान करते हुए 31 मार्च 2020 के पूर्व उपयोगिता प्रमाणपत्र समर्पित करने का निर्देश सीडीपीओ को जारी किया था। लेकिन पदाधिकारियों की मनमानी से अल्प मानदेयभोगी सेविका-सहायिका पिछले चार वर्षों से टकटकी लगाई हुई हैं। -------------------------
ये था निदेशक आईसीडीएस का आदेश बिहार सरकार समाज कल्याण विभाग के आईसीडीएस निदेशालय बिहार पटना के निदेशक ने अपने कार्यालय पत्रांक 5790 दिनांक 17 दिसंबर 2018 को डीपीओ एवं सीडीपीओ को पत्र लिखकर जिले के आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं का डीबीटी से पूर्व यानी जून 2016 से पूर्व माह का बकाया मानदेय एवं राज्य भत्ता की विवरणी उपलब्ध कराने का आदेश दिया था। पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि डीबीटी योजना के तहत कार्यरत आंगनबाड़ी सेविका एवं सहायिकाओं का निदेशालय स्तर से सीधे उनके खाते से माह जून 2016 से मानदेय एवं राज्य भत्ता का भुगतान किया जा रहा है। जबकि कई सेविका-सहायिकाओं का मानदेय एवं राज्य भत्ता जून 2016 से पूर्व का लंबित है। निदेशक ने डीपीओ एवं सभी सीडीपीओ को आदेश दिया कि जून 2016 से पूर्व सेविका-सहायिकाओं का लंबित मानदेय का प्रतिवेदन विहित प्रपत्र में तैयार कर 23 दिसंबर 2018 तक उपलब्ध कराने का आदेश दिया था। ताकि लंबित मानदेय को वित्तीय वर्ष 2018-19 से पूर्व भुगतान किया जा सके। 23 दिसंबर 2018 तक प्रतिवेदन अप्राप्त रहने की स्थिति में समझा जाएगा कि परियोजना में किसी सेविका सहायिका का मानदेय माह जून 2016 से पूर्व का लंबित नहीं है। साथ ही पत्र में इस बात की भी हिदायत दी गई थी कि यदि किसी भी सेविका सहायिका के द्वारा इसके बाद बकाया मानदेय की मांग की जाती है तो संबंधित पदाधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई की अनुशंसा विभाग को कर दी जाएगी। ---------------------------------------------
बकाया मानदेय भुगतान हेतु दिया गया था ये आदेश
आईसीडीएस के निदेशक ने अपने कार्यालय पत्रांक 1520 दिनांक 27 फरवरी 2020 के द्वारा सुपौल जिले सहित अन्य जिले के परियोजना पदाधिकारी को पत्र लिखकर जिले के आंगनबाड़ी सेविका सहायिका को मार्च 2017 से पूर्व के लंबित मानदेय की राशि कुल 45 करोड़ 10 लाख 27 हजार 293 रुपये की राशि हस्तांतरित करते हुूए भुगतान करने का आदेश दिया। पत्र में निदेशक ने स्पष्ट लिखा है कि सेविका-सहायिकाओं का बकाया मानदेय जिला से प्राप्त मांग के आधार पर बाल विकास परियोजना कार्यालय के खाते में राशि हस्तांतरित कर दी गई है। भुगतान हेतु दी गई राशि का खर्च 31 मार्च 2020 के पूर्व निश्चित रूप से करते हुए उपयोगिता प्रमाण पत्र निदेशालय को ईमेल से भेजने का आदेश दिया गया। भुगतान में किसी प्रकार की अनियमितता एवं गलत खाता की पूरी जवाबदेही सीडीपीओ की होगी।
Posted By: Jagran
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