कोरोना ने छीन लिया हुनर तो पेट की खातिर चला रहे कुदाल

बेतिया। जिन हाथों की कारीगरी के दीवाने दिल्ली व मुंबई में बसते हैं। जिनके हुनर के कायल कई कारपोरेट घराने हुए। कोरोना महामारी में वे हुनरमंद कामगार पेट चलाने के लिए कुदाल चला रहे हैं। नौतन प्रखंड में एक दर्जन से अधिक मुंबई और दिल्ली से प्रवासी आए हैं, जो वहां सिलाई एवं गृह निर्माण का कार्य करते थे। अभी उनके हुनर के लायक काम यहां नहीं मिल रहा है। इस वजह से वे मनरेगा मजदूर बन गए हैं। मनरेगा से नहर की सफाई कर रहे हैं। ये मजदूर एक दिन 1000-1200 रुपये मुंबई एवं दिल्ली में कमाते थे। अभी दो सौ रुपये के लिए चिलचिलाती धूप में कुदाल चला रहे हैं। ऐसा भी नहीं कि कुदाल चलाने वाला यह काम उन्हें आसानी से मिला है। इसके लिए भी कई दिनों तक जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों के पास जाना पड़ा है। अपनी व्यथा बतानी पड़ी है तब जाकर ये काम मिल रहा है और किसी तरह से रोजी-रोटी चल रही है। सिलाई कर कमाता था रोज एक हजार

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दिल्ली से आए खड्डा के मजदूर रंजित साह ने कहा कि वह दिल्ली के एक फैक्ट्री में कपडे़ की सिलाई करता था। वहां प्रतिदिन पाँच सौ से एक हजार रुपये आराम से कमाई करता था।लेकिन यहां आने के बाद उसे जब दूसरा काम नहीं मिला तो वह कुदाल उठाकर मनरेगा में मिट्टी कटाई का काम करने लगा है । मजबूरी है, यहां स्वजनों के आजीविका का प्रबंध करना है। सो, कुदाल चलाकर घर का चूल्हा जलाने की व्यवस्था कर रहा है।
हुनर के हिसाब से मिले काम
मोतिउर रहमान ने बताया कि वह हरियाणा में बिल्डिग में इलेक्ट्रिक का काम करता था। दो हजार रुपये रोज कमाता था।जबकि यहां मनरेगा मे कुदाल चलाकर दो सौ रुपये कमाना पड़ रहा है। कोराना को ले लॉकडाउन हुआ और लगा कि अब घर नहीं जा पाएंगे तो सोचे थे कि अब किसी तरह से घर पहुंचे तो फिर कभी गांव छोड़कर बाहर नहीं जाएंगे। लेकिन अभी नौबत यह है कि काम नहीं मिला तो भूखमरी की नौबत आ जाएगी।
साहब, मैं भी कुदाल चलाऊंगा ..
मुंबई व हरियाणा में मकान बनाने का काम कर रहे कारीगर सुरेन्द्र महतो व शमशाद शाह ने बताया कि प्रतिदिन एक हजार रुपये कमाते थे। अभी गांव में आए हैं और उनके हुनर के लायक काम नहीं मिल रहा। दोनों ने मनरेगा के अधिकारी से आग्रह किया कि साहब , मुझे भी कुदाल चलाने आता है। अभी बाल- बच्चों के भूख की चिता है। इस लिए कुदाल चलाने का काम दे दीजिए। कोट
जो भी प्रवासी काम के लिए आते है उन्हें तुरंत जॉब कार्ड बनाकर काम पर लगा दिया जाता है। सरकार की ओर से हुनरमंद मजदूरों के लिए भी व्यवस्था की जा रही है। स्किल सर्वे का अभियान चला है। शीघ्र हीं हुनरमंद प्रवासियों को उनके हुनर के हिसाब से काम मिलने लगेगा।
प्रमोद कुमार, मनरेगा पदाधिकारी, नौतन
Posted By: Jagran
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