शहरनामा ::: अररिया :::

हूटर बजाने के शौकीन

वे जिले में नये-नये आए हैं। इससे पहले उन्हें इस तरह का पावर दिखाने वाला पोस्ट नहीं मिला था। जहां से तबादला होकर आए हैं, वहां उनकी ऐसी कोई बहुत वैल्यू थी नहीं। सेटिंग की, खर्चा किया तो यहां अब थोड़ा सा पावर वाला पोस्ट मिला है। यहां जब बाहर निकलते हैं तो भीड़ वाला इलाका तलाशते हैं। भीड़ में घुसते ही उनकी गाड़ी में लगा हूटर टों-टों करने लगता है। स्वभावत: लोगों की नजर उनकी गाड़ी की ओर जाती है और वे भी दिखते हैं अकड़ के साथ बैठे, पर मंद-मंद मुस्कुराते हुए। हूटर बजने तक तो उनको लगता है कि अबकी उनकी पोस्टिग सही जगह हुई है। लिहाजा अब वे गुलाबी गांधी की सेटिंग समझने में लगे हैं। पता कर रहे कि उनसे पहले इस कुर्सी की पूजा कहां-कहां से हो रही थी। अभी कुछ खास सफलता नहीं मिल है, फिर भी उम्मीद के साथ जी रहे हैं।
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उनकी तो चांदी है
प्रवासी मजदूर भले ही अपनी किस्मत को कोस रहे हैं। लेकिन जिले में तीन साहबों की तो चांदी ही कट रही है। प्रवासियों की लूंगी-गंजी ने तो उनका भाग्य का द्वार ही खोल कर रख दिया है। प्रवासी लूंगी-गंजी मुफ्त का लेने पर जितने खुश नहीं होते हैं, उससे ज्यादा खुशी तो इसमें सुविधा शुल्क लेने वालों के चेहरे विशेषकर उन तीन चेहरों पर दिख रही है। लगातार मना रहे हैं कि इसी तरह लॉकडाउन में लोग आते जाएं और वे मलाई काटते रहे। उनकी किस्मत भी अच्छी है कि लगातार प्रवासियों का आने का सिलसिला जारी है। सबसे दिलचस्प यह है कि माल काटने वाले को दोतरफा लाभ हो रहा है। वे प्रवासियों के बीच नाम कमा रहे हैं और जहां से प्रवासियों के लिए माल आ रहा है उनके लिए भी राजा साहब बने हैं। यहां माल महराज का मिरजा खेले होली वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।
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दोनों तरफ से आएगा
जिले एक प्रखंड के एक साहब को बस एक ही बात समझ में आती कि पैसा किधर से आए। वे आवास योजना की राशि बंदरबांट करने में सुर्खियों में रहे। पैसे का लेनदेन करते वीडियो भी वायरल हुआ। अभी लॉकडाउन में उन्होंने दोनों हाथों से माल बटोरना शुरू कर दिया है। अपने अधीन सभी जनप्रतिनिधियों को साफ तौर पर कहा दिया है जितना भी मास्क, सैनिटाइजर आदि खरीद करना है उनके एक खास चमचे से करना है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे बाद में सभी पंचायत में मास्क व सैनिटाइजर आदि खरीद मामले की जांच करेंगे और एक-एक कर सभी को जेल भेजेंगे। साहब की सोच है, पंचायत से जो पीसी है वह तो आएगा ही और उनका चमचे तो दूसरे से भी ज्यादा कमीशन तो देगा ही। अब मुखिया जी लोग टेंशन में हैं। साहब का चमचा हर चीज में एक का दो की भाव लगा रहा है।
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फायरिंग होते-होते बची
दो वर्दी वाले आपस में ही भिड़ गए। नौबत यहां तक पहुंच गई कि सरकारी पिस्टल से फायरिग होते-होते बची। अब दोनों वर्दी वाले ऊपर यह साबित करने में लगे हैं उसकी जान बच गई। दरअसल इस सब के पीछे पैसा का ही खेल है। हैवीवेट वर्दी वाले पद में छोटे भले ही थे, लेकिन कमाने में माहिर थे। यह ओहदे में बड़े वाले साहब को खटक रहा था। पहले परेशान करने के लिए हैवीवेट वाले की गाड़ी ही गायब करवा दी। बाद में किरकिरी होने पर गाड़ी वापस मंगवाया। विवाद का यहां से बढ़ता गया। इतने के बाद भी हैवीवेट दिखने वाले वर्दीधारी बड़े वाले साहब को हिस्सा देते ही नहीं थे। थक-हारकर ऊपर शिकायत भी की। इससे भी बात नहीं बना तो मानसिक रूप परेशानकरने लगे और बाद में नौबत पिस्टल निकालने की पहुंची। खूब किरकिरी हुई तो मंझले साहब ने हैवीवेट का हटाकर मामला थोड़ा शांत किया।
Posted By: Jagran
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