गंगा दशहरा पर किया स्नान-दान

अरवल : कोरोना संक्रमण के बीच लॉकडाउन-5 की शुरुआत होते हीं सोमवार को गंगा दशहरा पर्व के अवसर पर एतिहासिक मधुश्रवा तालाब, पुनपुन और सोन में श्रद्धालुओं ने स्नान और दान किया। घाटों पर श्रद्धालुओ की भीड़ रही। लोग कोरोना को भूलकर गंगा दशहरा के मौके पर जुटे थे।

सोमवार को तड़के चार बजे से सोन एवं किजर स्थित पुनपुन नदी में स्नान करने को काफी संख्या में लोग पहुंचे। नदी में स्नान करने के साथ सूर्यदेव को अ‌र्घ्य दिया। सुबह से शुरू हुआ स्नान करने सिलसिला पूर्वाह्न 11 बजे तक चलता रहा।बताया जाता है कि ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी को ही धरती पर स्वर्ग से गंगा का अवतरण हुआ था। ज्योतिषियों की मानें तो मां गंगा को धरती पर लाने के लिए अंशुमान के पुत्र दिलीप और दिलीप के पुत्र भागीरथी ने कड़ी तपस्या की थी। भागीरथ के कठोर तप से प्रसन्न होकर मां गंगा ने उन्हें दर्शन देकर वरदान मांगने को कहा। भागीरथ ने मां गंगा को हमेशा के लिए मृत्युलोक में चलने की प्रार्थना की। मां गंगा मृत्युलोक में चलने के लिए तैयार हो गई लेकिन कहा कि पृथ्वी तल पर गिरते समय उनके वेग को रोकने वाला कोई चाहिए। उन्होंने बताया कि भगवान शंकर ही उनके वेग को रोक सकते हैं। भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने मां गंगा को अपनी जटाओं में धारण किया। तब से लेकर आज तक गंगा दशहरा के रूप में यह पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि आज के दिन गंगा स्नान करने से दस पापों का हरण होता है और मुक्ति प्राप्त होती है। जिले के मसदपुर, सोहसा, भगवानपुर आदि गावों के सोन नदी घाटों पर श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर दान पुण्य किया। लोगों का मानना है कि गंगा दशहरा के दिन सत्तू, मटका, हाथ का पंखा दान करने से दो गुना फल मिलता है।
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