..आखिर धरा पर कहां से आए हरियाली के लिए, जब वृक्षों की धड़ल्ले से हो कटाई

जीवन व प्रकृति से गहरा नाता है। प्रकृति के बिना मनुष्य का एक पल जीना संभव नहीं है। लेकिन आज इसी प्रकृति से छेड़छाड़ आम बात हो गई है। वृक्ष व जल को बचाने के लिए आज सरकारी स्तर पर बहुत सारे कार्यक्रम चलाए जा रहें हैं, लेकिन धरातल पर उतारने के लिए इमानदार प्रयास नहीं दिख रहा है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई व जलस्त्रोतों का वजूद मिटाने से पर्यावरण संरक्षण पर सवाल उठना लाजिमी बात है।

जल-जीवन हरियाली मिशन से बदलेगी तस्वीर :
एक वर्ष पूर्व प्रकृति से लोगों का नाता जोड़ने के लिए राज्य सरकार ने जल-जीवन, हरियाली मिशन शुरू किया था, लेकिन अभी तक जिले में यह अभियान पूरी तरह से आकार नहीं ले सका है। मिशन के पोर्टल पर जिले में जल संचयन की संख्या 18248 दर्ज है। जिसमें तालाबों की संख्या आठ हजार है। ढ़ाई हजार से अधिक जल स्त्रोत अतिक्रमित व साढ़े चार हजार पहले से ही अतिक्रमणमुक्त हैं। अतिक्रमित जल स्त्रोतों को मुक्त कराने के लिए सक्षम अधिकारी के न्यायालय में मुकदमा चल रहा है, जो अभी लंबित है। इस वर्ष ढ़ाई करोड़ पौधरोपण करने का लक्ष्य :
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जल-जीवन, हरियाली मिशन के तहत 15 अगस्त तक जिले में ढ़ाई करोड़ पौधा लगाने का लक्ष्य रखा गया है। जिसके लिए वन विभाग ने जिले के विभिन्न स्थानों पर नर्सरी स्थापित कर पौधा तैयार करने में लगा है। अमझोर में मेगा नर्सरी की स्थापना की गई है। पौधे वानिकी योजना के तहत भी लगाए जाएंगे, जिसमें मनरेगा, विद्यालय, नहर तट, सड़क किनारा व निजी रूप से पौधरोपण करा पर्यावरण के साथ जल संरक्षण को बढ़ावा देने का कार्य किया जाएगा। इसे ले जिला प्रशासन वन, जल छाजन, लघु सिचाई व ग्रामीण विकास का साझा कार्यक्रम तैयार किया है। कहते हैं अधिकारी :
जल जीवन हरियाली मिशन के तहत अगस्त तक ढ़ाई करोड़ पौधा विभिन्न विभागों के माध्यम से लगाने का लक्षय रखा गया है।नर्सरी तैयार का जिम्मा वन विभाग को सौंपा गया है। अतिक्रमित जलस्त्रोतों को भी अतिक्रमण मुक्त कराने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
सुरेंद्र प्रसाद, डीडीसी जल जीवन, हरियाली मिशन : एक नजर
लक्षित पौधा : ढ़ाई करोड़
पोर्टल पर अपलोड जल संचय की संख्या : 18248
तालाबों की संख्या : 8231
अतिक्रमित जलस्त्रोत: : 2568
Posted By: Jagran
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