टिड्डी दल के भयंकर प्रकोप से किसान रहें सतर्क: सहायक निदेशक

मुंगेर । टिड्डी दल का भयंकर प्रकोप राजस्थान, हरियाणा, गुजरात जैसे प्रदेशों में देखे जाने के बाद बिहार में भी कृषि विभाग पूरी तरह सतर्क हो गई है।

पौधा संरक्षण विभाग की ओर से किसानों को दूसरे राज्यों में टिड्डी दल के आक्रमण को देखते हुए अलर्ट किया गया है । अधिकारी ने कहा कि टिड्डी दल अपने मार्ग में आने वाले हरे पेड़ पौधे, शाक- सब्जियों एवं फलों को खा कर भयंकर क्षति पहुंचाते हैं । पौधा संरक्षण के लिए किसानों को अभी से ही तैयार रहना चाहिए। सहायक निदेशक पौधा संरक्षण अवधेश नारायण गुप्ता ने कहा कि टिड्डी अपनी दुम जमीन में घुसा कर 6 इंच गहराई पर नव मिट्टी वाली भूमि में झुढो में अंडे देती है। प्रत्येक में 60 से 80 अंडे होते हैं । 18- 12 दिनों में अंडे समूह से शिशु टीड्डी निकलती है। जिस जगह अंडे दिए गए हैं, वहां सुराख दिखाई देते हैं। जिसके मुंह पर सफेद झाग नजर आते हैं।

तापमान के अनुसार लगभग 12 से 14 दिनों में अंडों से नवजात शिशु निकलते रहते हैं । श्री गुप्ता ने कहा कि अंडों से निकलने के बाद पंख हीन सफेद शिशु की वनस्पतियों, पेड़ पौधों की तलाश में जमीन की सतह पर चलने लगते हैं। इसके तुरंत बाद वे काले रंग के हो जाते हैं और बाद में उनके शरीर की आकृति पीले रंग की विकसित होने लगती है । उन्होंने नियंत्रण के लिए टिड्डों की खोज और उसकी पहचान से संबंधित जानकारी समय पर मिलना आवश्यक है।
किसानों से कहा कि टिड्डयों के नियंत्रण की कार्रवाई युद्ध स्तर पर किए जाने की जरूरत है। कृषि विभाग द्वारा प्रमंडल स्तर, जिला स्तर, प्रखंड स्तर एवं पंचायत स्तर पर विभिन्न समितियों का गठन किया गया है। टिड्डी दल के प्रकोप की दशा में एक साथ इकट्ठा होकर ढोल नगारा, थाली को बजाते हुए शोर मचाएं। शोर मचाने से आसपास के खेतों में टिड्डी दल आक्रमण नहीं कर पाएंगे। संभावित प्रभावित क्षेत्रों की रक्षा रसायनों, ट्रैक्टर्स, अग्निशमन वाहन आदि की व्यवस्था कर ली जानी चाहिए।
Posted By: Jagran
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