शहरनामा ::: अररिया

शौक से गिर रही साख

सत्ता पक्ष के नेताजी हैं। शौक बड़े पाल रखे हैं। अब उन्हें छोटी गाड़ी बैठने पर बड़े नेता टाइप की फीलिग नहीं आती है। उनकी स्कॉर्पियो के प्रति चाहत बढ़ गई है। इसके लिए पार्टी को गिरवी रखकर लगातार ऐसे कार्य कर रहे हैं जिससे स्कॉर्पियो जल्दी दरवाजे पर खड़ी हो जाए। इसमें अगर पार्टी का साख गिर रहा है तो उससे क्या! उनका अपना तो काम बन रहा है। चुनावी वर्ष में नेताजी तूफानी अंदाज में अपने पार्टी में कई प्रकोष्ठों के पद पर लोगों को बैठाने में लगे हैं। बेच रहे हैं। इसके लिए वे विवादों पर घिरते हैं। फिर जिला से लेकर प्रदेश तक के नेता किसी तरह से मामले को पैचअप करते हैं। नेताजी हैं कि अपने चाहत को पूरा करने के लिए पार्टी की साख गिराने से बाज नहीं आ रहे हैं। खैर अब नैया पार है, जल्द ही चमचमाती गाड़ी घर पर लग जाएगी।
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वर्दी वालों की जलन
एक वर्दी वाले साहब हैं। थोड़े मिलनसार हैं। अभी किस्मत भी साथ दे रही है। कोई भी घटना होती है एक दिन में ही पर्दाफाश हो जाता है। ऐसे में उनको हटाकर उनकी कुर्सी पर बैठने की फिराक में कुछ वर्दी वाले हमेशा रहते हैं। जैसे ही मौका मिलता है चुगली कर उन्हें ऊपर से डांट सुनवा देते हैं। अभी दो लोग तो पूरी तरह जुट गए हैं। वे जान रहे हैं कि जल्द मामला सेट नहीं हुआ तो ऐसे में ऊपर वाले का ही स्थानांतरण हो जाएगा और सारा मामला ही बिगड़ जाएगा। इसलिए छोटी-छोटी बातों को इतना बढ़ा चढ़ाकर उपर बताने में लगे रहते हैं कि किसी तरह सेट हों। कुछ दिन पूर्व ही ऊपर वाले से इतनी डांट पिलवा दी कि बेचारे मिलनसार वर्दी वाले का मन ही खट्टा हो गया है। अब वे खुद ही कह रहे, इससे तो बेहतर होता कि यहां से हटा देते।
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यह धमकी भी शुभ है
उनका जिले के बड़े व्यवसायी में कम धंधेबाज में नाम अधिक है। हमेशा सुर्खियों में बने रहना चाहते हैं। उनका बॉडीगार्ड को लेकर पहले से वर्दी वाले विवाद चल रहा है। पहले बॉडीगार्ड का पैसा जमा नहीं करने को लेकर खूब हायतौबा मची। वे डिगे नहीं। इसके बाद ऊपर की पहुंच दिखाकर मामले को शांत किया। अब किसी कलमुंहे ने फिर से उन्हें धमकी दे दी। अब तो फिर से एक बार सुर्खियों में हैं। हालांकि वे बड़े ताव से कहते हैं, यह धमकी भी मेरे लिए शुभ ही है। क्योंकि, अब बॉडीगार्ड का पैसा जमा करने दवाब भी आएगा और नए सिर से अपने परिवार वाले को भी बॉडीगार्ड मिल जाएगा। हालांकि, उनकी इस खुशफहमी के बीच जांच भी चल रहा है कि यह धमकी कहीं प्रायोजित तो नहीं है। अगर ऐसा होगा तो फिर से एक केस भी होगा साथ बॉडीगार्ड का पैसा वसूली अभियान और तेज होगा।
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ठेका मिला, चेहरा खिला
फूल वाली पार्टी के एक नेताजी हैं। बड़े जनप्रतिनिधि के चुनाव के समय विरोध में थे अब एकदम से सट गए हैं। अब दोनों के बीच खूब छन भी रही है। अभी उन्हें बड़े जनप्रतिनिधि की कृपा दृष्टि से ठेका मिल गया है। ठेका मिलने के बाद तो उनका चेहरा ही खिल गया है। अब वे बड़े जनप्रतिनिधि की सुबह-शाम दरबारी करने लगे हैं। हालांकि तब चुनाव के समय तो एकदम से शान से कहते थे कि उनकी पहुंच तो दिल्ली तक है। इस बार यहां वाले नेताजी का टिकट कटना तय है। यहां पड़ोसी जिले के एक नेताजी को टिकट मिलेगा। जब टिकट मिल गया तो फिर अंदर ही अंदर खूब विरोध किया था। लेकिन यहां तो आस्था ही प्रायोजित है। पैसे पर सब बिकता है। तभी तो नए भक्त हो गये हैं। बड़े जनप्रतिनिधि भी कहते हैं, चलो इसी तरह विरोधी भी खुश है, आगे काम ही आएगा।
Posted By: Jagran
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