ग्रामीण क्षेत्रों में मछली पालन कर सकता है रोजगार का सृजन : अर्थशास्त्री

बेगूसराय : मनरेगा से प्रवासी कामगारों को काम मुहैया कराया जा रहा है। इसमें ढेर सारे तालाबों को जीर्णोद्धार भी कराया जा रहा है। उसे बस थोड़ा और विस्तार देकर मछली पालन का बेहतर जरिया बनाया सकता है। उक्त बातें बुधवार को श्रीकृष्ण महिला महाविद्यालय बेगूसराय द्वारा आत्मनिर्भर बिहार और कोविड-19 का संकट, चुनौती व समाधान विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में प्रख्यात अर्थशास्त्रियों ने कहीं।

एलएनएमयू दरभंगा के रिटायर्ड वीसी व प्रख्यात अर्थशास्त्री प्रो. राजकिशोर झा और बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर के पूर्व कुलपति एवं विख्यात अर्थशास्त्री प्रो. प्रसून कुमार राय, फिश एंड फिशरीज की विशेषज्ञ एवं एसके महिला कॉलेज की रिटायर्ड प्रिसिपल डॉ. स्वप्ना चौधरी सहित अन्य वक्ता शामिल हुए थे। वक्ताओं ने ग्रामीण क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर को-आपरेटिव लोन की व्यवस्था तथा सरकार के स्तर से पंचायती राज को और अधिक सुविधाएं व खर्च का दायरा बढ़ाने की वकालत की। डॉ. स्वप्ना चौधरी ने बताया कि मनरेगा के तहत जिन तालाबों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है, अगर हम उसे मछली पालन के लिए प्रयोग में लाते हैं तो यह स्थानीय स्तर पर ढेर सारे कारोबार का मौका उपलब्ध कराने में सक्षम होगा। मत्स्य पालन विभाग से ढेर सारी सब्सिडी और कई तरह के लोन की भी व्यवस्था है, बस इस ओर आगे बढ़कर रोजगार सृजन की जरूरत होगी। उन्होंने बरौनी औद्योगिक नगरी के बंद कारखानों को आर्थिक मदद उपलब्ध कराकर चालू करवाने की वकालत करते हुए कहा कि दो सौ से अधिक फैक्ट्रियां बेगूसराय में स्थापित हैं, जो हजारों लोगों को रोजगार देने में सक्षम बनाई जा सकती हैं, इस ओर सरकार को ठोस कदम उठाना होगा। कार्यक्रम की निगरानी एलएनएमयू दरभंगा के वीसी प्रो. राजेश सिंह और डॉ. स्वप्ना चौधरी कर रही थीं। जबकि वक्तओं में उपरोक्त दोनों अतिथियों के अलावा एलएनएमयू अर्थशास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रो. हिमांशु शेखर ने भी अपने विचार रखे। वेबिनार के संयोजक एसके महिला कॉलेज के प्राचार्य प्रो. बिमल कुमार सहित प्रो. रूमा कुमारी सिन्हा, प्रो. अर्चना कुमारी, प्रो. शिखा चौधरी ने वेबिनार में अहम योगदान दिया।
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Posted By: Jagran
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