मक्का किसानों की बढ़ रही परेशानी, नहीं मिल पा रहा बाजार मूल्य

- कभी बाढ़ तो कभी सुखाड़ की समस्या से त्रस्त हैं किसान

जागरण संवाददाता, सुपौल: जिले में किसानों की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। यहां के किसान कभी बाढ़ तो कभी सुखाड़ की समस्याओं से त्रस्त रहते हैं। कभी बाढ़ का पानी फसलों को बर्बाद कर देता है तो कभी तेज हवा फसल को जमीन में सुला देती है। यानि हर परिस्थिति में किसानों को ही नुकसान झेलना पड़ता है। वर्तमान समय में मक्का फसल किसानों को रुला रही है। किसानों के द्वारा उत्पादित फसल का उचित मूल्य नहीं मिलने से किसान हताश हैं। स्थिति ऐसी है कि मक्का फसल या तो किसानों के घर सड़ रही है या फिर किसानों का खलिहान लगा हुआ है। कुछ ऐसे जरूरतमंद किसान हैं जो औने-पौने दामों पर अपनी फसल को भी बेचकर जरूरत पूरी कर रहे हैं। जबकि अधिकांश किसान दाम बढ़ने की आस में टकटकी लगाए बैठे हैं। सरकार द्वारा मक्का का समर्थन मूल्य घोषित नहीं किए जाने से किसानों में आक्रोश भी देखा जा रहा है। किसानों का कहना है कि गत वर्ष 2000- 2500 रुपये प्रति क्विटल बिकने वाला मक्का का इस बार 1000-1100 में बिक रहा है। उसमें भी व्यापारी मक्का खरीदने को तैयार नहीं हैं। लॉकडाउन के कारण किसानों का हाल पहले से ही खास्ता है। आगामी फसल लगाने को ले किसान पाई-पाई को मोहताज हैं। किसानों की हालत देख उन्हें कोई कर्ज देने को भी तैयार नहीं है। किसानों का कहना है कि सरकार मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर अधिप्राप्ति की व्यवस्था करे। ताकि उन्हें उनके उत्पादन का सही मूल्य मिल सके। दरअसल किसानों ने पिछले वर्ष मक्का का मूल्य देखकर इस बार रबी मौसम में बड़ी तादाद में मक्का की खेती की थी। विभागीय आंकड़ों को ही माने तो पहली बार जिले के करीब 36000 हेक्टेयर खेतों में मक्का की खेती की गई थी। हालांकि पैदावार भी बेहतर हुई। परंतु उनके उत्पादन का उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण किसान परेशानी में है। मक्का उत्पादक किसानों की मानें तो मक्का फसल में 20 से 25000 प्रति हेक्टेयर का खर्च आता है। ऊपर से कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। मगर बाजार में प्रति क्विटल 1000 से 1100 ही दाम मिल पा रहा है। ऐसे में मुनाफा की बात तो दूर उन्हें उनका लागत भी ऊपर नहीं हो पा रहा है। इससे अच्छा तो गेहूं की फसल रही। जिनका बाजार मूल्य 1900 से 2000 के बीच रहा। फिलहाल जिले के किसान फसल बेचने को लेकर परेशान दिख रहे हैं।
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Posted By: Jagran
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