शहरनामा ::: किशनगंज :::

जनता मालिक है, कोरोना नहीं

चुनावी आहट ने कोरोना वायरस का डर को बहुत हद तक कम कर दिया है। चुनाव नजदीक आने से राजनीतिक सुगबुगाहट भी तेज हो गई है। ऐसे में जनता की खोज खबर लेने को हर कोई आतुर दिख रहा है। माननीय तो योजनाओं के शिलान्यास से लेकर राहत वितरण व क्वारंटाइन सेंटर पर प्रवासियों तक, नदी कटाव व जर्जर पुल, बिजली बत्ती का तक हाल जानने को ग्रामीणों के बीच पहुंच रहे हैं। अब वे दर्जनों, सैकड़ों की संख्या में जुटे जनता के बीच आम दिनों की तरह मिलते जुलते हैं। खुद शारीरिक दूरी के नियम का उल्लंघन करते हैं और लोगों को सोशल डिस्टेंस के पालन का पाठ भी पढ़ाते हैं। इस बीच किसी ने टोक दिया कि दो गज की दूरी बनाकर रखिए, तो कुटिल मुस्कान के साथ माननीय का जबाब मिलता है, जनता मालिक है कोरोना नहीं। आज कल यह पंचलाइन हर किसी के जुबान पर है।
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अभिभूत हो गई जनता
लॉकडाउन में आम जनता की सुध लेने भला कौन आता! इस बीच भले ही आवाज उठती रही कि लौट आइये माननीय, मगर ट्रेन, हवाई जहाज से लेकर आवागमन के तमाम साधन बंद होने से चाहकर भी वे नहीं लौट पाए। अब जब सबकुछ अनलॉक हो गया तो माननीय भी करीब तीन माह बाद क्षेत्र लौट आए हैं। आते ही लगातार जनता जनार्दन से संवाद कर ब्यूरोक्रेट तक की खबर ले रहे हैं। दवा, राशन, सड़क, पुल-पुलिया यानी जनता से जुड़े हरेक मुद्दों पर नजर है। क्षेत्र भ्रमण कर लगातार लोगों की परेशानियों से रूबरू भी हो रहे हैं। सुबह से शाम तक आवाम के बीच जनसंवाद कर रहे अपने नेता को देख जनता भी गदगद हैं। साहसा जनता बोल भी उठती है, ऐसा नहीं है कि वे राजधानी में हम सबसे दूर सुकून से रहे होंगे। उनकी आत्मीयता तो देखिए, अनलॉक होते ही सीधे अपनों की बीच आ पहुंचे हैं।
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तस्कर भाग जाते हैं!
बंगाल का सीमावर्ती जिला शराब तस्करी का ट्रांजिट प्वाइंट बना है। एनएच 31 व एनएच 327 ई के रास्ते शराब की खेप बिहार में खपाई जा रही है। पुलिस व उत्पाद विभाग की कार्रवाई भी लगातार हो रही है। लेकिन असल मामला यहां अटक जाता है कि शराब लदे वाहन तो अक्सर पकड़े जाते हैं लेकिन तस्कर नहीं। अब बड़े स्तर पर इस खेल का पता किया जा रहा। सूचना तंत्र भी मजबूत है और कार्रवाई भी सटीक होती है लेकिन तस्कर एनएच पर वाहन छोड़कर भागने में सफल हो जाता है। कई अधिकारी भी इस पर सोच में पड़ जाते हैं कि आखिर तगड़ी घेराबंदी के बीच वाहन सवार आसानी से निकल कैसे जाता है। हर मामले में इत्तेफाक यह जरूर रहता है कि रात के अंधेरे का लाभ लेकर वाहन सवार भाग निकला। जब्त वाहन मालिकों पर कार्रवाई तो होती ही होगी। यह संतोष का विषय जरूर है।
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मास्क से पहले ज्ञान
कोरोना काल में हर कोई अपने साम‌र्थ्य के अनुसार आमजन की मदद कर रहा है। जागरुकता अभियान से लेकर मास्क व साबुन वितरण भी किया जा रहा है। कहीं आलाधिकारी तो कहीं समाजिक कार्यकर्ताओं की टोली मास्क वितरण करते अक्सर दिख जा रही है। खासकर शहरी इलाके में बड़े पैमाने पर इस प्रकार का अभियान खूब चल रहा है। मास्क बांटने के दौरान लोगों को ज्ञान भी खूब दिया जा रहा है। अधिकतर लोग अधिकतम तीन रुपये का मास्क ही बांटते हैं। लेकिन साथ में ज्ञान देने के नाम पर सैकड़ों गुणा अधिक कीमती दिमाग को पकाकर दही कर देते हैं। इससे आजिज आकर एक ने कह दिया कि साहेब यह ज्ञान इतना सुन चुका हूं कि रटा गया है। मास्क देना भी है क्या? जबाब मिला एक दो नहीं हजार में यहां मास्क बांटा जा रहा है। आपलोग पहले मेरी बात सुनिए, मास्क लेने से ज्यादा अमल जरूरी है।
Posted By: Jagran
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