गांव में नहीं मिल रहा रोजगार, पलायन को हो रहे लाचार

संवाद सूत्र, प्रतापगंज(सुपौल): भले ही बिहारी मजदूरों को अन्य राज्यों में टेढ़ी निगाहों से देखा जाता रहा हो, लेकिन कोरोना संक्रमण काल के इस दौर में बिहारी मजदूरों के अपने-अपने घर वापस आ जाने से उन राज्यों को एहसास हो गया है कि ये मजदूर वहां के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में यहां से मजदूरों को ले जाने के लिए लुधियाना, हरियाणा, पानीपत आदि जगहों से लग्जरी बस कर आना जारी है। अपने राज्य में रोजगार की बेहद कम संभावनाओं को देखते हुए मजदूरों का दोबारा अन्य राज्यों के लिए पलायन करना भी एक बड़ी विवशता है। मजदूरों का कहना है कि कोविड-19 के खतरे के बावजूद भी परिवार का पेट पालने के लिए हम लोगों को बाहर जाना ही पड़ेगा। फिर मालिक ने जब हम लोगों को ले जाने के लिए बस भेजा है तो ये भी हम सबों के लिए सौभाग्य की बात है। प्रखंड के गोविदपुर गांव पहुंचे बस ड्राइवर ने कहा कि मालिक ने अपने प्रदेश सरकार से अनुमति पश्चात सारे नियमों का पालन करते हुए बस को बिहार के उक्त गांव के लिए भेजा है। ताकि उनके यहां कार्य करने वाले मजदूरों को वापस ले जा सके। इस दौरान हमलोग सोशल डिस्टेंसिग का भी पालन करेंगे। यूं तो करोना के संक्रमण काल में बिहार लौटे प्रवासी मजदूरों का दोबारा से अन्य राज्यों में पलायन भी शुरू हो चुका है। पहली जून से पूरे देश में ट्रेन व लंबी दूरी की बस सेवा शुरू होने के साथ ही बिहार के विभिन्न जिलों से प्रवासी मजदूरों का देश के अन्य राज्यों में जाने का सिलसिला जारी हो गया है। हालांकि बिहार वापस लौटे प्रवासी मजदूरों से मुख्यमंत्री ने कई बार संवाद किया और उनसे दोबारा रोजगार ढूंढने के लिए अन्य राज्यों में नहीं जाने की अपील भी की। इसके बावजूद मजदूरों को शायद सरकार के वादों से भरोसा उठता दिख रहा है।


Posted By: Jagran
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