कृषि को उद्योग का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर किसान मोर्चा करेगा आंदोलन

संवाद सूत्र, जदिया (सुपौल): सुरसर नदी में समुचित बांध नहीं होने के कारण हर वर्ष क्षेत्र वासियों को बाढ़ जैसी विभीषिका झेलनी पड़ती है। कड़ी मेहनत के बावजूद फसल का बह जाना क्षेत्र के किसानों के लिए अभिशाप बन चुका है। वहीं किसानों के निजी जमीन जिसे सुरसर अपनी चपेट में ले चुका है उसके मुआवजे के लिए दफ्तरों का चक्कर काटना तो जैसे अब किसानों की किस्मत बन गयी है। उक्त बातें राष्ट्रीय किसान मोर्चा सुपौल के संयोजक बिपिन कुमार यादव ने किसान के मुद्दों पर जिला पदाधिकारी सुपौल तथा अनुमंडल पदाधिकारी त्रिवेणीगंज को एक ज्ञापन सौंपने के बाद बताया कि छातापुर तथा त्रिवेणीगंज प्रखंड के चैनपुर ,ठूठी, भीमपुर, जीवछपुर, माधोपुर, रामपुर, चुन्नी, झखरगढ़, मुहम्मदगंज, राजेश्वरी, मानगंज,कोरियापट्टी तथा जदिया से गुजरने वाली सुरसर नदी में बह गए हजारों एकड़ जमीनों का आज तक किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाया है। उस जमीन का उपयोग किये वगैर किसान हर वर्ष जमीन का लगान कटवाने पर मजबूर है। कितु सरकार को इसकी कोई परवाह नहीं है। अगर सरकार को परवाह है तो उन बारे कंपनियों के मालिकों की, जो दिवालिया हो गए तो उनका कर्ज माफ कर दिया जाता है। यहां बाढ़ तथा सुखार जैसी समस्या के कारण दिन व दिन किसान टूट कर बिखरता जा रहा है। कितु इस अन्न दाताओं के दर्द को समझने वाला कोई नही है। संयोजक ने बताया कि कृषि को उद्योग का दर्जा मिले इसको लेकर राष्ट्रीय किसान मोर्चा के बैनर तले किसानों के अधिकार के हित में अभियान चलाकर आंदोलन किया जाएगा।

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Posted By: Jagran
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