शहरनामा ::: अररिया :::

नेता के भाई हैं

तकनीकी विभाग से जुड़े अधिकारी आज कल खूब चर्चा में हैं। सत्ता पक्ष के लालबत्ती लेवल वाले नेताजी के भाई हैं। भाई के पावर से उनमें ऊर्जा का खूब संचार हो रहा है। तभी तो अपने सीनियर बहुत भाव नहीं देते हैं। अपने विभाग से जुड़े ठेके-पट्टे वालों को तो कुछ समझते ही नहीं है। अगर कभी किसी ने मुंह खोलने की हिम्मत की इस कदर साहब गाली देते हैं कि सामने वाले का चेहरा देखने लायक होता है। भाई जोरदार है तो कौन क्या बिगाड़ लेगा! जिले के किसी जनप्रतिनिधि को नहीं टेरते हैं। उनको हटाने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई लोग एक हो गए। पर, वे भी नेता के भाई हैं। राजनीति जानते हैं। उन्होंने भी कईयों को अपने पक्ष में खड़ा कर मामला को राजनीतिक रूप दे दिया है। अब विरोध करने वाले लोग आपस उलझ गए हैं और साहब मजे मार रहे हैं।
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लड़ाई बढि़या चल रही
फूल वाली पार्टी से जुड़े दो नेताजी एकदम से आमने-सामने हो गए हैं। दोनों का काम ठीके-पट्टे वाला ही है। दिलचस्प बात है कि इस बार चुनाव में दोनों ने जिस जगह से मैदान में उतरने की तैयारी की है, वह मैदान भी एक ही है। ऐसे में दोनों बड़का जनप्रतिनिधि का लटकन बनकर टिकट लेने की जुगत में हैं। बड़का जनप्रतिनिधि ने भी दोनों को आश्वस्त किया है कि अबकी टिकट उन्हीं को दिलवाएंगे। अभी एक ने एक सरकारी सेवक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। फिर क्या, दूसरे नेताजी सरकारी सेवक के पक्ष में खड़े हो गए। अभी दोनों ही बड़का चोंगा पर दोनों एक-दूसरे के विरोध में बयानबाजी करने में लगे हैं। अभी दोनों के चमचे भी पूरा मजा मारने में लगे हैं। दिनभर की बात अपने-अपने नेताजी को बताकर खूब माल बना रहे हैं। उधर दूसरे से बड़का जनप्रतिनिधि भी मंद-मंद मुस्कुरा के मजा रहे हैं।
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लगा दिया है दिमाग
जिले में एक नेताजी हैं। वह मुखिया के चुनाव में भी जीतने की क्षमता नहीं रखते हैं। अभी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ताबड़तोड़ एक क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। वे खुद को यहां से प्रत्याशी बताने में लगे हैं। सोशल साइट्स पर अपने विचरण की फोटो डालकर भावी प्रत्याशी जरूर लिखते हैं। वे लोगों के बीच भी खूब चर्चा करते हैं कि इस बार तो पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे। साथ ही यह भी जोड़ते हैं कि पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय ही चुनाव लड़ेंगे। इस छुटभैये नेताजी को जानने वाले का कहना है कि चुनाव लड़ने के लिए नहीं, पार्टी में पद लेने और चुनाव के समय पैसा कमाने के लिए अभी से नाटक कर रहे हैं। ताकि, चुनाव में पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले नेताजी पैसा भी दें और इनका भाव भी बढ़ा रहे कि चुनाव नहीं लड़े नहीं तो हराईये देते।
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अच्छे दिन की आहट
जिले में एक बड़े वर्दी वाले की पोस्टिग को लेकर वाट्सएप पर खूब मैसेज अदान-प्रदान हो रहा है। कईयों को तो लगने लगा है कि अब एक बार फिर अच्छे दिन आएंगे। क्योंकि, वर्तमान काल में किसी को कभी शाबाशी जल्दी मिलती नहीं है। हां कुछ ऊंच-नीच हुई तो मैडम की फर्राटेदार गाली जरूर मिलती है। ऐसे में नए साहब की पोस्टिग जल्द होने की सब उम्मीद लगाएं बैठे हैं कि अब डांट के बदले ईनाम भी मिलेगा। अभी तो हमेशा डर लगा रहता है। कब फोन आए और किस बात के लिए डांट पड़ेगी यह कोई नहीं जानता है। पोस्टिग में नाम सामने आने के पीड़ित अधिकारी एक-दूसरे को वाट्सएप पर नाम भेजकर सांत्वना देने में लगे हैं कि जल्द ही अच्छे दिन आएंगे। हालांकि, हर दिन उनकी यह उम्मीद सुबह अखबार देखने के बाद टूट रही है। फिर भी उम्मीद लगाएं बैठे हैं, नया सवेरा जल्द ही आएगा।
Posted By: Jagran
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