पूर्णिया। मलडीहा गांव के मिड्ल स्कूल के बच्चे भी सुशांत की याद में गमजदा हैं। पिछले साल वे जब गांव आए थे तो स्कूल में भी समय बिताया था तथा बच्चों से मिलकर उन्हें मोटिवेट भी किया था। उन्होंने बच्चों से कहा था कि दो बाते हमेशा याद रखना। जिदगी में कभी निराश मत होना तथा किसी काम को छोटा मत समझना। आज उसी स्कूल के बच्चे को यह भरोसा नहीं हो रहा है कि सुशांत ने सुसाइड कर लिया है। बच्चे कह रहे हैं कि सुशांत भैया मर नहीं सकते। पिछले साल मई माह में जब सुशांत राजपूत अपने पैतृक गांव मलडीहा आए थे तो उन्होंने गांव के स्कूल में जाकर पढ़ रहे बच्चों से मुलाकात की थी। वे वहां करीब आधे घंटे तक रूके थे। लगभग 10 मिनट तक उन्होंने स्कूल के बच्चों को पढ़ाया भी था। बच्चों को उन्होंने कई सीख भी दी थी। जीवन में कैसे हर बाधा को पार कर सफलता हासिल की जाती है, इस संबंध मे काफी सशक्त तरीके से उन्होंने बच्चों को मोटिवेट किया था। इस दौरान आठवीं क्लास के एक बच्चे ने उनसे पूछा था कि आप इतने बड़े फिल्म स्टार बन गए हैं और अगर आपको फिल्म मिलना बंद हो जाए तो आप क्या करेंगे। इसके जवाब में उन्होंने कहा था कि वे फिर से सीरियल में काम करना शुरू कर देंगे और अगर सीरियल में भी काम नहीं मिला तो वे फिर से पहले की तरह थिएटर में काम करने लगेंगे। उसमें भी मुझे खुशी मिलेगी क्योंकि जिदगी में कोई काम छोटा नहीं होता। इसलिए आदमी को अपने जीवन में कभी निराश नहीं होना चाहिए।
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Posted By: Jagran
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