फिर परदेस की राह पकड़ रहे प्रवासी

बैसा (पूर्णिया)। कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण काम बंद होने और आर्थिक संकट झेलने के बाद बड़ी संख्या में प्रवासी वापस अपने घर तो लौटे कितु काम नहीं मिलने से एक बार फिर वे वापस जाने लगे हैं। परेशान मजदूर एक बार फिर अपना घर-बार छोड़कर दूसरे प्रदेशों की ओर रुख करने लगे हैं। कोरोना संकट में दूसरे राज्यों से वापस आए मजदूरों की हुई खातिरदारी के बाद भी रोजगार के लिए शासन-प्रशासन द्वारा दिए गए अवसर उन्हें लुभा नहीं सके। कहा गया था कि प्रवासी मजदूरों को गांव-घर में ही रोजगार उपलब्ध कराकर आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। खासकर मनरेगा के तहत काफी संख्या में रोजगार देने की योजना बनाई गई है। लेकिन मनरेगा मजदूरों को लुभा नहीं पा रहा है। मनरेगा में प्रवासियों की दिलचस्पी का आलम यह है कि क्वारंटाइन सेंटरों पर ठहरे श्रमिकों में से कुछ ने ही जॉब कार्ड बनवाया। साथ ही मनरेगा में जितनी मजदूरी दी जाती है वह भी मजदूरों को रास नहीं आ रही है। वहीं पंजाब के किसान अधिक मजदूरी का वादा कर वहां से बस भेजकर उसे वापस आने को कह रहे हैं। ऐसे में प्रवासी फिर से पंजाब की राह पकड़ने लगे हैं। पंजाब के किसान मजदूरों की वापसी के लिए प्रखंड क्षेत्र में गांव-गांव बस भेज रहे हैं। पिछले कई दिनों से प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों में मजदुरों को ले जाने के लिए पंजाब से एक दर्जन से अधिक बसें आई हैं। मजदूर लोग बस में बैठकर जैसे ही रवाना हुए उनके स्वजनों के आंखों में आंसू झलक आए। सभी कह रहे थे कि पेट के खातिर परदेस जाना मजबूरी है। यहां रहकर तो परिवार चलाना भी मुश्किल है।

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Posted By: Jagran
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