मछली पालन को बायोफ्लॉक यूनिट आवंटन में कथनी-करनी में फर्क

बिहारशरीफ। जमीन व पानी की बचत कर मछली पालन की नई तकनीक बायोफ्लॉक यूनिट आवंटन में कथनी-करनी में फर्क उजागर हुआ है। सूचना के अधिकार कानून के तहत उपलब्ध कराए गए साक्ष्य से प्रतीत होता है कि लाभुकों के चयन में मुंह देखी की गई। किसी आवेदक को मामूली फाल्ट के चलते चयन सूची से बाहर कर दिया गया तो किसी का चयन सभी त्रुटियों को नजरअंदाज कर किया गया है। करोड़ों का ट्रांजेक्शन कर रहे दो बड़े मछली उत्पादकों को भी सब्सिडी का लाभ दे दिया गया। 10 टैंक की यूनिट का एकमात्र प्रस्ताव था, उसे भी बड़े मछली उत्पादक को दे दिया गया। दूसरे को 5 टैंक की यूनिट दी गई। अन्य 5 मछली उत्पादकों के चयन से पूर्व आवेदन में दिखाए गए प्लाट का भौतिक सत्यापन भी नहीं किया गया।

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पोर्टल ने स्वीकार कर लिया आवेदन पर जल्दबाजी का तर्क दे किया खारिज
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दरअसल, आवेदक साहिल राज का आवेदन इसलिए निरस्त कर दिया गया था। विभाग ने तर्क दिया कि इन्होंने योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन की तिथि प्रारम्भ होने से दो दिन पूर्व ही ऑनलाइन आवेदन पत्र दाखिल कर दिया। इनके जैसे एक और आवेदक निशांत गौरव का भी आवेदन इसी कारण रद हुआ। निर्धारित तिथि से पहले पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग का पोर्टल आवेदन के लिए खुल गया था। इसलिए इन्होंने पहले आओ, पहले पाओ की शर्त का ़फॉलो करते हुए जल्दबाजी दिखा दी। ऑनलाइन आवेदन स्वीकार भी हो गया। बाद में इन्हें गलती का अहसास कराया गया। इसी आधार पर इन दोनों आवेदनों को चयन समिति ने निरस्त कर दिया। साहिल राज को कुछ गड़बड़ दिखा तो इन्होंने अन्य चयनित सात आवेदकों के आवेदन प्रपत्र के साथ संलग्न दस्तावेजों की अभिप्रमाणित प्रति की मांग आरटीआइ के तहत कर दी। विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए साक्ष्यों के अवलोकन से पता चलता है कि ऐसे आवेदकों का चयन हुआ जिनके बैंक खाते में निर्धारित राशि ही नहीं है। दो अभ्यर्थी के आय प्रमाण पत्र दो वर्ष पुराने संलग्न हैं। जबकि आय प्रमाण पत्र की वैधता साल भर ही है। जिन अभ्यर्थियों ने बैंक स्टेटमेंट आवेदन की तिथि से पहले की तिथि का संलग्न किया, उनका भी चयन कर दिया गया है।
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50 से 75 फीसद अनुदान पर लगनी है 8 यूनिट
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बता दें, जिले में कुल आठ यूनिट बायो फ्लॉक का अधिष्ठापन होना है, जिसमें एक यूनिट पूर्णत: सरकारी होगी। शेष सात यूनिट का अधिष्ठापन इसके लिए चयनित किसानों के निजी भूमि में 50 से 75 फीसद अनुदान के आधार पर जातीय आरक्षण के तहत होना है। दो तरह की यूनिट लगनी है। पांच टैंक के 6 तथा 10 टैंक का एक। पांच टैंक वाले यूनिट के लिए सामान्य वर्ग से एक, अनुसूचित जाति से एक तथा अतिपिछड़ी जाति के किसान के लिए दो यूनिट लगाई जाएगी। 10 टैंक की मात्र एक यूनिट लगाई जानी है, जो सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है। अनुसूचित जाति एवं अत्यंत पिछड़ी जाति के किसान को 75 फीसद तथा सामान्य वर्ग के किसान को 50 फीसद प्रति यूनिट अनुदान सरकार दे रही है। जिले में 47.175 लाख रुपए इस पर इस पर अनुदान पर खर्च हो रहे हैं।
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जिला मत्स्य अधिकारी ने कहा- निशांत का चयन न होने का अफसोस
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जिला मत्स्य पदाधिकारी उमेश कुमार रंजन ने बताया की निजी क्षेत्र में यूनिट के हिसाब से लाभुकों का चयन सावधानीपूर्वक चयन समिति द्वारा कर ली गई है। साहिल राज का आवेदन इसलिए रद्द कर दिया गया क्योंकि उन्होंने आवेदन तिथि शुरू होने से पहले ही आवेदन कर रखा था। डीएफओ ने बताया कि चयन समिति ने आवेदकों के सभी तथ्यों पर विचार कर निर्णय लिया है। सभी कोटि में यूनिट के चार गुणा आवेदन प्राप्त हुए थे। बताया कि चयन समित में मत्स्य संसाधन विभाग के उपनिदेशक अध्यक्ष होते हैं। जिला मत्स्य अधिकारी सदस्य सचिव होते हैं। इसके अलावा फील्ड ऑफिसर एवं कनीय अभियंता इसके सदस्य होते हैं।
कहा, निशांत गौरव का आवेदन रद होने का अफसोस विभाग को भी है। इनके जैसे लोगों को प्रोत्साहन मिलना ही चाहिए। इन्होंने बायो फ्लॉक विधि से मछली उत्पादन में बहुत अच्छा काम कर रखा है। बायो फ्लॉक तकनीक मछली उत्पादन को बढ़ावा देने का आधुनिक तकनीक है। इसमें जमीन पर विशेष तकनीक से बने प्लास्टिक चादर से वाटर टैंक बनाया जाता है। इसमें जमीन और पानी की बचत होती है। पर्यावरण एवं अन्य सुरक्षा कारणों से भी यह उन्नत तकनीक माना गया है।
Posted By: Jagran
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