बढ़ने लगा कोसी का जलस्तर, सिहर उठे कोसीवासी

जागरण संवाददाता, सुपौल: कोसी नदी में पानी बढ़ने लगा है। इसके चलते दोनों तटबंधों के बीच में रह रहे लोगों के लिए अब आवागमन की समस्या गंभीर हो चली है। ऐसे में तटबंध के अंदर के लोगों के लिए अब नाव ही एकमात्र सहारा रह गया है। जिसके बाद वह अपने रोजमर्रा की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कहीं जा आ सकते हैं। कुछ दिन पूर्व तक इस नदी में लोग पैदल ही सफर किया करते थे। प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत कोसी के दोनों तटबंधों के अंदर एक दर्जन से अधिक गांव है। जिसके लिए यह नदी कभी वरदान तो तो कभी अभिशाप साबित हुआ करती है। कोसी के गांव के लौकहा बाजार, कोढ़ली पलार, कवियाही, करहरी, बाजदारी, सियानी, ढोली, कटैया, भुलिया, औरही, सनपतहा डीह, बनैनिया पलार सहित अन्य गांव है जहां हजारों की आबादी अभी भी रह रही है। इनलोगों की आजीविका का साधन भी कोसी के ही गांव में है। इतना तो साफ है कि कोसी तटबंध के भीतर बसे लोग छह माह पानी और छह माह तक बालू फांक कटती है जिदगानी।

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नाव होता है सहारा
कोसी के इलाके में बसी आबादी को अब किसी भी दिशा में जाने के लिए नाव ही एकमात्र सहारा बचा है। बिना नाव के लिए यह लोग गांव से बाहर कहीं नहीं जा सकते हैं। आपातकाल में नाव लोगों के लिए एंबुलेंस बन जाया करता है। नाव से ही लोग खेतों के अनाज को बाजारों तक ले जाया करते हैं। कोसी में अत्यधिक पानी होने पर लोग अपने घरों के पास नाव पर बैठते हैं तो सीधे बाजार के समीप तटबंध के किनारे पहुंच जाते हैं। उस समय यह जल मार्ग इतना डरावना होता है कि दिल के मरीज नाव पर बैठकर अपने गांव तक नहीं जा सकते हैं। ऐसे समय में कोसी के गांव में बसे लोग हमेशा दहशत में जिदगी काटते रहते हैं। कहते हैं कि कोसी में जो प्रलय बढ़ता है तब इस क्षेत्र की आबादी के लिए वही सबसे बड़ा रक्षक माना जाता है। क्योंकि बाढ़ के विकराल होने पर बाहर से भी लोग इन गांव में नहीं जाते हैं। जब भी लोगों की जान माल पर खतरा बढ़ता है तो लोग नाव के सहारे बाहर आने की कोशिश करते रहते हैं।
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छोटी नाव पर लोगों की जिदगी
कोसी के गांव के लोगों की जिदगी कभी-कभी नदी में छोटी नाव पर फंस जाया करती है। जब नदी में बड़ी नावें उपलब्ध नहीं होती है तो आवश्यकता की पूर्ति के लिए लोग छोटी-छोटी नाव पर सफर करते हैं जो काफी घातक होता है। कई बार दुर्घटना का शिकार भी होता है। नाव पर क्षमता से अधिक लोगों को बैठाने के बाद भी कई बार इस कोसी में दुर्घटनाएं होती रही है जिसमें लोगों की जानें जा चुकी है।
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सरकारी नाव का संचालन नहीं होने से होती है परेशानी
कोसी नदी में पानी बढ़ने के साथ ही इलाके के लोगों के लिए अब सफर धीरे-धीरे काफी खर्चीला और कठिन होता जा रहा है। ऐसे समय में नदी में कहीं भी सरकारी नाव की सही व्यवस्था नहीं हो पाती है। सरकारी स्तर से नाव तब दिए जाते हैं जब बाढ़ विकराल रूप धारण करती है। खासकर गांव में पानी घुसने के बाद अधिकारी कुछ नाव तो बहाल कर देते हैं लेकिन उससे लोगों की समस्या का समाधान नहीं होता है। ------------------------
कहते हैं कोसीवासी
बलथरबा गांव के रामचंद्र प्रसाद सिंह, दिनेश प्रसाद सिंह कहते हैं कि कोसी के लोगों की जिदगी कम से कम चार माह तक नाव पर लटकी होती है। ऐसे समय में जब सरकार नाव नहीं देती है तब निजी नाव से सफर करना जोखिम के साथ-साथ खर्चीला होता है और ऐसे में कई लोग चाहकर भी नदी नहीं पार करते हैं। लोग कहते हैं कि पानी बढ़ने के साथ सरकारी अधिकारी को कोसी की स्थिति पर विशेष ध्यान देने की जरूरत हो चली है। हमलोगों की समस्या को देखते हुए उसी के हरेक मुहाने में सरकारी नाव होनी चाहिए अगर ऐसा होता है तो कोसी के लोगों को काफी सुविधा होगी।
Posted By: Jagran
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