ब्लैक क्वार्टर रोग से दुधारु पशुओं पर पड़ेगा असर

- पशुओं में दूध उत्पादन की क्षमता होगी प्रभावित

- जिला गव्य विकास पदाधिकारी ने किसानों को किया जागरूक
संवाद सहयोगी, किशनगंज : बारिश के मौसम में पशुओं को कई प्रकार की बीमारी होने का भय बना रहता है। कभी -कभी पशुपालक अपने पशुओं में होने वाली बीमारियों को समझने में देर कर देते हैं। इस वजह से पशुओं का दूध उत्पादन क्षमता प्रभावित होने के साथ पशुओं का असमय मौत भी हो जाता है। ब्लैक क्वार्टर रोग एक ऐसा ही रोग है। जो दुधारु पशुओं में होने वाला जीवाणुजनित बैक्टेरियल तीव्र संक्रामक रोग है। यह रोग पशुओं में क्लासट्रीडियम सोविआइ नामक जीवाणु से उत्पन्न होता है। इस रोग के जीवाणु चारा खाने के दौरान पशुओं के आंत में प्रवेश कर जाते हैं।
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यह जानकारी देते हुए जिला गव्य विकास पदाधिकारी देवेन्द्र कुमार ने बताया कि ब्लैक क्वार्टर रोग होने से पशुओं के अगले व पिछले पैर और इसके उपरी भागों पर मांसपेशियां काला पड़ जाता है। इसके बाद पैरों में सूजन के साथ लंगड़ापन के लक्षण दिखने लगते हैं। पशु ठीक से चल नही पाते और शरीर में रोग पूरी तरह फैल जाने के बाद जमीन पर गिर जाते हैं। शरीर का तापमान बिलकुल कम हो जाता है। शरीर के सूजे हुए भाग को दबाने से कड़कड़ाहट जैसी आवाज निकलती है। छह माह से लेकर दो वर्ष तक के पशुओं में इस रोग के होने की अधिक संभावना बनी रहती है। पशुपालकों को कोशिश करनी चाहिए कि यदि पशुओं में ब्लैक क्वार्टर रोग के लक्षण दिखे तो पेनिसिलीन की सुई अवश्य लगवाएं। इसके अलावा एम्पीसिलीन, क्लोक्सासिलीन और एमौक्सिलीन दवा काफी फायदेमंद साबित होती है। दवाओं का उपयोग पशु चिकित्सक की देखरेख में ही करना चाहिए। बरसात शुरू होते ही छह माह से ऊपर के पशुओं को बीक्यू वैक्सीन अवश्य लगवा देना चाहिए।
Posted By: Jagran
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