दो वर्ष में दो किमी भी नहीं बना नाला

संवाद सूत्र, छातापुर(सुपौल): भले ही बढ़ते समय के पहिया संग विकास की गाथा लिखी जा रही हो लेकिन यह भी सच है कि विकास को जमीन पर उतारने वाले जिम्मेवार को इसकी तनिक भी चिता नहीं होती कि यह हूबहू ससमय सरजमीन पर कैसे उतर आए। नतीजा होता है कि अधिकांश ऐसे मामले में सरकार की स्तर से स्वीकृत विकास की योजनाएं जमीन पर उतरते-उतरते दम तोड़ देती है। ऐसे ही उदाहरणों में से एक है छातापुर प्रखंड मुख्यालय से गुजरने वाली एसएच 91 के दोनों किनारे कराये जा रहे नाला निर्माण का कार्य। विगत दो वर्षों में भी दो किलोमीटर नाला निर्माण सम्पन्न नहीं हो पाया। निर्माण कार्य के दौरान सबसे ज्यादा जलजमाव वाले जगह मुख्य बाजार स्थित धर्मशाला हनुमान मंदिर को छोड़ अन्य सभी अनावश्यक जगहों पर नाला निर्माण कार्य आधा अधूरा किया गया है। परंतु जलजमाव की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी झेल रहे उक्त स्थल के लोगों को यूं ही छोड़ दिया गया है। बताते चलें कि उक्त स्थल पर जलनिकासी की सबसे ज्यादा जरूरत थी। कारण यहां हल्की सी बारिश में भी घुटने भर पानी जमा हो जाया करती है जो न सिर्फ स्थानीय दुकानदार अपितु राहगीरों के लिए भी परेशानी का सबब बन जाती है। परंतु विभाग के अभियंताओं की अदूरदर्शिता तथा कार्यकारी एजेंसी की उदासीनता के कारण करोड़ों रूपये खर्च के बावजूद संबंधित स्थल पर परेशानी यूं ही बनी है। जहां नाला की सबसे ज्यादा जरूरत थी वहां तो नाला निर्माण कराया नहीं गया। परंतु यत्र-तत्र आधा अधूरा निर्माण कर छोड़ दिया है, जो आमलोगों के लिए परेशानी का सबब बना है। आमलोगों की सुनें तो निर्माण कंपनी अपनी मर्जी के मुताबिक कई टुकड़ों में नाला निर्माण कर रही है। जिस स्थल पर बिजली का खंभा पड़ता है उसे हटवाने की कार्यवाही करने की बजाय उस स्थान पर नाला निर्माण अधूरा छोड़ दिया गया है।


Posted By: Jagran
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