मिथिला के लिए वरदान होगा पश्चिमी कोसी नहर

मधुबनी। बहुप्रतीक्षित पश्चिमी कोसी नहर परियोजना को मंजूरी देते हुए सिचाई व्यवस्था को चालू किए जाने के राज्य सरकार के निर्णय की यहां के लोगों ने सराहना की है। विशेषज्ञों के अनुसार मिथिला क्षेत्र की मिट्टी की उर्वराशक्ति देश के अन्य भागों से अधिक है। सिचाई की व्यवस्था होने के बाद यहां के खेत में साल में तीन फसल का उत्पादन संभव है। राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार यहां की विशेषता पर ध्यान दे तो देश में हरित क्रांति मिथिला क्षेत्र में संभव है।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले कार्यकाल में ही कमला नदी पर साइफन सह सेतु का निर्माण पूरा करा कर यहां के किसानों में उम्मीद जगाई। इसके बाद राज्य सरकार की ओर से किसानों के खेत तक पानी पहुचाने वाले शाखा नहरों एवं नाला का निर्माण कराया गया। यह बात अलग है कि सिचाई विभाग एवं पश्चिमी कोसी नहर परियोजना से जुड़े अभियंता एवं संवेदक इस परियोजना को लेकर गंभीर नहीं रहे। इससे निर्माण कार्य में अनियमितता भी की गई है। अधूरे कार्य के बावजूद मिथिला क्षेत्र के किसानों को इसका लाभ मिल रहा है। अब जल संसाधन मंत्री संजय झा के प्रयास से इलाके के लोगों का सपना पूरा होता दिख रहा है। किसानों में खुशी है। कोरोनो महामारी के बाद यहां के लोगों के लिए पश्चिमी कोसी नहर वरदान साबित होगा। केंद्र और राज्य सरकार चाहे तो कृषि उत्पादन एवं इससे जुड़े कारखाना से यहां बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन हो सकता है। निर्णय का प्रखंड के समाजसेवी राजीव कुमार झा, रामटहल पूर्वे, सरयुग सदाय, रामबिलास साहू, दामोदर सिंह आदि ने कहा कि करीब छह दशक पूर्व से निर्माणाधीन बिहार की सबसे पुरानी एवं बड़ी परियोजना के पूर्ण होने का इंतजार किया जा रहा है।
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Posted By: Jagran
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