कोसी में उपजेगा टीशू कल्चर नस्ल का केला

सहरसा [कुंदन कुमार]

कोसी क्षेत्र में केले की काफी खपत है, परंतु इस इलाके में इसकी खेती नहीं के बराबर होती है। यहां हर महीने कटिहार, नवगछिया आदि इलाके से बड़ी मात्रा में केला मंगाकर बेचा जाता है। जबकि कोसी क्षेत्र का मैदानी इलाका इसके लिए बेहद उपयुक्त है। इसके लिए उद्यान विभाग ने इस इलाके में टीशू कल्चर नस्ल के सिगापुरी केले की खेती की योजना बनाई है।
चालू वित्तीय वर्ष में प्रमंडल के तीनों जिले सहरसा, सुपौल और मधेपुरा जिले में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 65 हेक्टेयर भूमि में केला की खेती की योजना बनाई गई है। पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद इलाके में इसकी खेती बढ़ाने पर विचार किया जाएगा। इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी और इलाके की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।
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एक हेक्टेयर में लगेगा 3086 पौधा
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टीशू कल्चर नस्ल की केले की उन्नत खेती के लिए उद्यान विभाग ने किसानों को हर संभव सुविधा प्रदान करने का निर्णय लिया है। इसके लिए कटिहार में विभिन्न कंपनियों द्वारा केला का बेहतर पौधा तैयार किया जा रहा है। इस केले की खेती के लिए किसान को एक हेक्टेयर में 3086 पौधा लगाना होगा। विभाग इसके लिए किसानों को तकनीकी जानकारी देने की भी योजना बनाई है।
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खेती के लिए किसानों को मिलेगा 90 फीसद अनुदान
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टीशू कल्चर नस्ल के केला के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए उद्यान विभाग ने किसानों को 90 फीसद अनुदान देने का निर्णय लिया है। एक हेक्टेयर में लगनेवाले 3086 पौधा के लिए 51690 रुपये मूल्य निर्धारित किया है। इसमें किसानों को संबंधित कंपनी के नाम से महज 6250 रुपये का डीडी देना होगा। इस आधार पर विभाग संबंधित कंपनियों के माध्यम से किसानों के घर तक पौधा पहुंचवाने का प्रबंध करेगी। इससे किसानों को काफी सहुलियत होगी।
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कोसी क्षेत्र में केला उत्पादन की काफी संभावना है। परम्परागत खेती की तुलना में इससे किसानों को अत्यधिक लाभ भी होगा। सरकार ने किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए पर्याप्त अनुदान का भी प्रावधान किया है। उम्मीद है कि इस इलाके के किसान इसमें रूचि लेकर काफी लाभांवित होंगे।
राहुल रंजन
सहायक निदेशक, उद्यान, सहरसा।
Posted By: Jagran
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