धान की रोपनी के पूर्व खेतों में जल का प्रबंधन जरूरी

बक्सर : समय से मानसून आने के साथ ही इस साल जिले में अब तक माह की औसत वर्षा से लगभग तीन गुना अधिक वर्षापात हो चुकी है। जिससे खेतों में न तो पानी की कमी है और प्रवासी मजदूरों के जिले में वापस आने के बाद जिले में रोपनहारों की कमी है। जिन लोगों ने रोहिणी नक्षत्र में नर्सरी तैयार की थी उनके लिए अब रोपनी का वक्त आ चुका है। इसके पहले जिन खेतों में रोपनी करानी है उसके जल प्रबंधन पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।

जून के महीने में जिले में औसत वर्षापात का आंकड़ा 107 एमएम का दर्ज है। इस वर्ष जून के अंतिम दिन तक हर दिन बारिश होने से खेतों में परनी की कमी नहीं है। कृषि वैानिक डॉ. देवकरण ने बताया कि जिन किसानों ने रोहिणी नक्षत्र में धान का बीज डाला था उनके बीज अब रोपनी के लायक हो चुके हैँ। पर, रोपनी से पूर्व खेतों का जल प्रबंधन सही तरीके से करना बेहद जरूरी है। इस संबंध में उन्होंने किसानों को सुझाव दिया कि पहले खेत की मेड़ को ऊंची करते हुए उसकी मरम्मत करें। धान के मुख्य खेत की जुताई करने के बाद एकबार कादो करके हेंगा चला दें, जिससे खेत में पानी की मात्रा लम्बे समय तक बनी रहे। इसके बाद ही पहले से तैयार धान के बिचड़ों की बुवाई करें। इससे फसल अच्छी होने के साथ बेहतर उत्पादन होगा। वर्षात के दिनों में वज्रपात से बचाव के लिए उन्होंने एन्ड्रॉयड मोबाइल धारकों को इंद्रवज्र नामक मोबाइल एप्प डाउनलोड की सलाह दी, जिससे वज्रपात संबंधी सूचना समय से मिलती रहे और ऐसी सूचना पर खेतों की ओर रूख न करें।
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Posted By: Jagran
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