जल जीवन हरियाली के तहत जिले में दो लाख से अधिक पौधे लगाने का लक्ष्य

सीतामढ़ी। जल-जीवन-हरियाली के तहत सीतामढ़ी जिले में दो लाख से अधिक पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया गया है। डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा ने कहा कि दो लाख नौ हजार चार सौ पौधे लगाए जाएंगे। जल-जीवन-हरियाली को बनाए रखने की सबसे अपील करती हूं। आइए हम सामूहिक रूप से वनस्पतियों और जीवों को सुनिश्चित करने के लिए जो भी संभव हो वो करें। हम आने वाली पीढि़यों के लिए और भी बेहतर ग्रह छोड़ सकते हैं। जलवायु परिवर्तन आज समस्त प्राणी जगत के अस्तित्व के लिए बड़ी चुनौती है। जलवायु परिवर्तन के कारण मानव स्वास्थ्य पर इसका असर हो रहा है। हमारी धरा इतनी प्रदूषित हो गई थी कि जन-जीवन खतरे में पड़ गया था। कोरोना ने जहां पूरी दुनिया में तबाही मचाई वहीं प्रकृति के लिए वरदान बनकर आई। उसने प्रकृति का सुंदर स्वरूप लौटा दिया है। कोरोना वायरस के कारण सारा आलम लॉकडाउन है। जानवर बाहर आ गए हैं। वो चिड़ियां दिखने लग गई हैं जिन्हें हमारे बचपन ने देखा था। नदियां साफ हो गई हैं, खुली आंखों से पूरा शहर दिखने लगा है, जो पहले धुंध के साए में रहता था। प्रदूषण का स्तर कम गया है। मानों पृथ्वी ने अपना जिम्मा खुद अपने हाथों में ले लिया हो। कोरोना के दौरान हमारी प्रकृति का सुंदर स्वरूप लौट आया है।

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द सीतामढ़ी ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनोलॉजिकल सोसायटी मिसाल बनकर उभरी है। सोसायटी की कोषाध्यक्ष डॉ. प्रतिमा आनंद, साइंटिफिक सेक्रेटरी डॉ. सुधा झा, सेक्रेटरी डॉ. लता गुप्ता, डॉ. स्नेहा व प्रेसिडेंट डॉ. अंजू सिंह किसी के जन्मदिन, शादी सालगिरह व अन्य ऐसे ही किसी मौके अथवा सामान्य तौर पर ये उपहार में नि:शुल्क पौधे भेंट करती हैं। जीवन पर्यंत देखभाल करने का संकल्प दिलाकर सदस्य पौधे देती हैं। धरा सदा हरी-भरी रहे इसी उद्देश्य को लेकर ये खुद के खर्च से पौधे बांटती हैं। पौधरोपण करने की बजाय इनका उद्देश्य यह है कि लोग खुद पौधों की देखभाल करें। सोशल मीडिया पर इनकी ये अपील देखकर लोग खुद ही इनसें संपर्क कर पौधे ले रहे हैं।
इस घर की बिटिया हरियाली से कर रहीं धरती का श्रृंगार परिहार के नरगा गांव की अल्का कुमारी, सीतामढ़ी शहर के नाहर चौक की कृति झा, डुमरा कैलाशपुरी की विभा झा, रमण कुमार सिंह, मृदुल झा, माणिक चौक की सुधा झा, बेबी झा सबका बस यहीं सवाल है-धरती मां से पूरी जिदगी हम लेते ही रहते हैं, लेकिन जब बारी आती है कुछ देने की तो हम अपनी धरती मां को क्या देंतें है, प्रदूषण! कई ऐसे धरती के लाल होते हैं जिनकी पूरी •ादिगी निकल जाती है लेकिन, अपने जीवनकाल में एक पेड़ तक नहीं उगाया होता है। पेंटिग आर्टिस्ट नेहा रानी कहती हैं कि धरती, जमीन का वो टुकड़ा, जिसपर खड़े होकर हम पले बढ़े, हमारी पूरी जिदगानी बनी, जिसे हम अपनी मां का दर्जा देंतें है। आज उसी धरती का कर्ज चुकाने का दिन है। हमें जल-जीवन-हरियाली का संकल्प लेना चाहिए। पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर हॉस्पीटल रोड में अपने आवास में दादा जी राजदेव ठाकुर के साथ दिव्यम कुमार गर्ग व तनुष्का ने पौधे लगाए और उसमें पानी देकर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया।
Posted By: Jagran
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