कोर्ट के आदेश की अनदेखी कहीं महंगा न पड़ जाए बौसी पुलिस को

दो दिन बीतने के बाद भी अब तक प्राथमिकी एवं कारण बताओ नोटिस का जवाब दाखिल नहीं किया।

संसू, अररिया: आखिर अररिया की अदालत द्वारा जारी आदेश का पालन करने में क्यों कतरा रही है बौंसी पुलिस। ऐसा नहीं हो कि आदेश की अनदेखी महंगा पड़ जाए। जबकि उन्होंने ना तो अदालत के आदेश का पालन करते 24 घंटे के अंदर प्राथमिकी दर्ज नहीं किया और जब अदालत इस मामले कारण बताओ नोटिस जारी होने का जवाब ही दिए। निर्धारित समय दो दिन बीतने के बाद भी गुरुवार तक जारी कारण बताओ नोटिस का जवाब तक दाखिल नहीं किया है। इस मामले में पैनल अधिवक्ता वीणा झा ने बौसी पुलिस द्वारा अदालती आदेश की अवहेलना कर सवाल खड़ा किया है।
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जानकारी के अनुसार बौसी पुलिस की हिरासत में एक दिव्यांग नाबालिग लड़की की बेरहमी से पिटाई हुई। जिसे पीड़िता ने अपने स्वीकारोक्ति बयान में वहां की पुलिस द्वारा किए अमानवीय कृत्य का खुलासा किया। इस घटना को अररिया के एसीजेएम वन की अदालत ने संवेदनशील हुआ और हर नागरिक के मौलिक अधिकार एवं बच्चों की सुरक्षात्मक कानूनी पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर बौसी थाना पुलिस को कानून का पाठ पढ़ाते उक्त थाना के बड़ा बाबू सहित संलिप्त लोगों पर 24 घंटे के अंदर प्राथमिकी दर्ज का आदेश जारी किया। तत्पश्चात प्राथमिकी दर्ज नहीं करने पर कारण बताओ नोटिस जारी करते दो दिनों के अंदर जवाब के साथ हाजिर होने का आदेश दिया। लेकिन गुरुवार को उक्त आदेश का वक्त बीत गए। लेकिन अदालत की नजर में बौसी थानाध्यक्ष ने उक्त दोनों आदेश का पालन नहीं किया है। इस बात को डीएलएसए के पैनल अधिवक्ता वीणा झा कहती हैं कि शायद बौसी पुलिस को पीड़िता की ऐसी हाय लगी की अब तो उसे ना तो उगलते बनता है और ना ही निगलते। जी हां! बौसी पुलिस शायद भूल गई होगी कि कानून के हाथ लंबे होते हैं। इस मामले में बौसी पुलिस को अदालत के आदेश के प्रति गंभीर होना चाहिए।
ध्यान देने वाली बात है कि अदालत ने मामले को गंभीरता से लिया है। डीएलएसए के पैनल अधिवक्ता वीणा झा व विनीत प्रकाश मामले में तत्परता दिखाया। उधर पीड़िता ने कोर्ट परिसर में अपनी हाय पुलिस पर बरपाती रही। इसके साथ ही मेडिकल रिपोर्ट भी पीड़िता के साथ हुई निर्दयता पूर्वक पीटाई की पुष्टि कर दिया। इतना पुख्ता सबूत होते ही अदालत अपनी संजीदगी पेश करते उक्त सख्त रूख अपनाना पड़ा।
Posted By: Jagran
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