बुरे पौधे उपजाऊ भूमि को बनाते हैं बंजर

-वन विभाग के पास नहीं है बुरे पौधे का आंकड़ा

-अररिया में 11 फीसदी है वन क्षेत्र
-अभियान में बुरे पौधे की नहीं हो रहा पहचान
अफसर अली, अररिया : पौधा रोपण जीवन का अहम हिस्सा है। हर कोई पर्यावरण को बचाने के लिए पौधे लगाने के लिए वकालत करते हैं। सरकारी व निजी संस्थानों द्वारा पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। परंतु अभियान में बुरे व घुसपैठिए पौधे हमे नुकसान पहुंचा रहा है। ऐसे पौधे भी लगाए जाते हैं जो न तो पर्यावरण संरक्षण के लिए खास उपयोगी है और न ही हमारे हितकर है। बल्कि वे पौधे नुकसान पहुंचा रहे हैं। पर्यावरण के जानकार बताते हैं कि अररिया जिला 2830 वर्ग किलोमीटर वर्ग क्षेत्र वर्ग फल में फैला है। इसमें वन क्षेत्र सात सात फीसदी से बढ़कर 11 फीसद हो गया है। अंधाधुन पेड़ की कटाई के चलते वन क्षेत्रों में हास हुई। परंतु पिछले चंद सालों के दौरान पौधा रोपण अभियान में तेजी आई है। अररिया के कुसियार गांव पार्क, रानीगंज वृक्ष वटिका, हाईवे किनारे बड़े पैमाने पर पौधा रोपण आदि से कमियों को दूर करने का प्रयास किया गया। सीएम नीतीश कुमार के जल जीवन हरियाली अभियान के तहत दो लाख से अधिक पौधे लगाए गए हैं। परंतु इनमें कुछ ऐसे पौधे भी लगाए गए जो हमारे लिए अनउपयोगी है। ऐसे पौधे भी शामिल जो लगाने के बुछ दिनों बाद में सुख गए। कुछ पौधे उपजाऊ जमीन को बंजर बना बना रहा है। ग्लोबल वार्मिग और जवायू परिवर्तन के बढ़े कुप्रभाव से बचाव के लिए जल संचय के साथ वन क्षेत्र संरक्षण भी जरूरी है। हैरत की बात यह है बुरे पौधे से संबंधित आंकड़ा वन विभाग के पास नहीं है।
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फलदार पौधे है उपयोगी:
किसान नंदमोहन झा बताते हैं कि पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधा रोपण बहुत ही जरूरी है। परंतु कुछ ऐसे बुरे पौधे अभियान में शामिल किया गया है। जो उपजाउ भूमि को बंजर बना रहा है। कुछ पौधे लगाने के बाद ही नमी के कारण सुख जाते हैं। ऐसे पौधे को नहीं लगाना चाहिए। फलदार व औष्धी पौधे पर्यावरण को संरक्षित करने के साथ ही लोगों का आय का जरिया भी बनता है। ऐसे पौधे लगाने के लिए किसानों में दिलचस्पी है। अब्दुल कुद्दूस ने बताया कि कुछ बुरे पौधे खेतों में लगाने से पोषित पल्लवित होकर फसल वाले पौधे को कमजोर बना देते हैं। जंगल में अच्छे पौधे को बढ़ने नहीं देते। ऐसे पौधे लगाने से बचना चाहिए।
इन पौधे को लगाने से बचें:
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पर्यावरण के जानकार प्रो. दयानंद राउत बताते हैं कि विलायती बबूल यह पौधा बुरे पौधों में गिना जाता है। इसका कांटा नुकसानदायक होता है। यूकेलिप्टस का पौधा जमीन की नमी को कम करके पानी अधिक सोखता है। जलकुंभी का पौधा जिस जलाशय में पनप जाती है वह जलाशय किसी काम का नहीं होता है। फालोनिया , एलएस सीमिया चीड़ पापूलर, गाजर घास आदि भी इन बुरे पौधे की श्रेणी मे आते हैं जो गेंहू के उपज को नुकसान पहुंचाता है। वहीं अच्छे पौधे में आम पीपल, बरगत, पकार, गूलर, नीम, सहजन, अमलताश, बेलपत्र, आंवला, तुलसी, जामून, केला, बांस, चंदन, देवदार, कंजी आदि हैं जिसे लगाने से न सिर्फ पर्यावरण के लिए फायदे हैं बल्कि हमारे जीवन के लिए भी उपयोगी है।
Posted By: Jagran
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